चित्रकूट उपचुनाव में कांग्रेस को जिताकर जनता ने की गलती :सीएम शिवराज
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चित्रकूट उपचुनाव में कांग्रेस को जिताकर जनता ने की गलती :सीएम शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को चित्रकूट के उपचुनाव में मिली हार की कसक अब भी है.

चौहान ने जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहा कि 'कांग्रेस को जिताकर यहां की जनता ने बड़ी गलती की थी.'(फाइल फोटो)

सतना: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को चित्रकूट के उपचुनाव में मिली हार की कसक अब भी है. उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहा कि 'कांग्रेस को जिताकर यहां की जनता ने बड़ी गलती की थी.' मुख्यमंत्री चौहान जन आशीर्वाद यात्रा के दूसरे चरण में सतना जिले की विधानसभाओं में जनता से सीधे संवाद किया. बिरसिंहपुर की जनसभा मुख्यमंत्री ने कहा, "चित्रकूट विधानसभा के उपचुनाव में आप लोगों ने कांग्रेस को जिताकर गलती कर दी. कांग्रेस ने प्रदेश को बदहाली के सिवाय कुछ नहीं दिया. मैं यहां चौथी बार प्रदेश में भाजपा की सरकार के लिए आशीर्वाद मांगने आया हूं. भाजपा की सरकार बने और चित्रकूट जीतने का भी मुझे आशीर्वाद दें."

मुख्यमंत्री चौहान ने सभापुर, खांच, बांदी, चूंद खुर्द, झरी और कोनिया होते हुए जैतवारा में रथ सभाओं में किसान, महिलाएं को संबोधित किया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस के नेता मेरी जन आशीर्वाद यात्रा से परेशान है. उन्हें सपने में भी शिवराज सिंह चौहान दिखाई देता है. बाबा महाकाल की नगरी से आशीर्वाद लेकर प्रदेश की जनता से आशीर्वाद लेने के लिए निकला हूं." चौहान की सभाओं में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, प्रदेश शासन के मंत्री राजेंद्र शुक्ला, ओमप्रकाश धुर्वे, सांसद गणेश सिंह और प्रदेश महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा मौजूद थे. 

आपको बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह चौहान को लेकर विवादित बयान दिया था. सीएम शिवराज ने अपने बयान में दिग्विजय सिंह को 'देशद्रोही' करार दिया है. उन्होंने दिग्विजय सिंह पर हमला करते हुए कहा कि अगर किसी आतंकवादी को पुलिस मार दे तो, ये ऐसे व्यक्ति हैं जो उसके घर जाते हैं. चौहान ने आगे कहा कि ये आतंकवादियों को 'जी' कह कर संबोधित करते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार मुझे दिग्विजय सिंह द्वारा उठाए गए ये कदम देशद्रोही लगते हैं. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी साल में लगातार माननीयों की भाषा का स्तर गिरता जा रहा है.

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