Rewa Triple Talaq Case: भले ही मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को न्याय और सुरक्षा दिलाने के कितने ही कानून क्यों न बना ले, लेकिन कौम के नुमाइंदे आज भी मुस्लिम महिलाओं को शरीयत के हिसाब से चलने का फरमान दे रहे हैं. इतना ही नहीं, रीवा के शहर काजी भी शरीयत के हिसाब से समयावधि में दिए गए तलाक को ट्रिपल तलाक का नया कानून पारित होने के बाद भी जायज ठहरा रहे हैं. दरअसल, यह पूरा मामला उस वक्त प्रकाश में आया जब एक पिता अपने दामाद और दो नवासों को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर शिकायत की कि शहर काजी द्वारा उनकी शादीशुदा और दो बच्चों की मां का बिना तलाक हुए दूसरा निकाह करवा दिया गया है.


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शहर काजी का पक्ष और पुलिस का बयान
वहीं, इस मामले को लेकर शहर काजी मुफ्ती मुबारक मोहम्मद अजहरी ने बताया कि पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद और मारपीट होती थी. इस दौरान पति द्वारा कई बार मौखिक रूप से तलाक भी दिया गया, जिसके बाद शरीयत के मुताबिक समय अवधि पूरी होने के बाद उनके द्वारा निकाह की रजामंदी दी गई, जो शरीयत के मुताबिक जायज है. वहीं, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल सोनकर का कहना है कि एक महिला के पिता द्वारा शिकायत की गई है. संबंधित थाने को मामले की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं. प्रतिवेदन में आए तथ्यों के आधार पर विधि अनुसार कार्रवाई की जाएगी.


महिला शाहिदा का मामला
महिला शाहिदा के पिता शेख इस्लामुद्दीन ने मामले की शिकायत एसपी से की है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन ससुराल में खुशहाल था. दामाद उनकी बेटी को किसी भी प्रकार का दुख नहीं देता था और उसे बहुत अच्छे से रखता था. उनके दो बच्चे भी हैं, लेकिन, लगभग छह महीने पहले उनकी बेटी शहर काजी के संपर्क में आई और फिर इबादत और इस्लाम के बारे में जानने के लिए उससे मिलने लगी. इस दौरान शहर काजी ने उनकी बेटी को बरगलाया और कहा कि यदि वह अपने पति को छोड़कर उसके बताए लड़के से निकाह करेगी तो उसे जन्नत मिलेगी. उसने अपनी बातों में फंसाकर उनकी बेटी का निकाह किसी और से करवा दिया, जबकि इस्लाम के अनुसार पति को तलाक दिए बिना और उसकी मर्जी के बिना दूसरा निकाह जायज नहीं है.


मुस्लिम विवाह अधिनियम 2019
मुस्लिम विवाह अधिनियम के मुताबिक, कोई भी पति अपनी पत्नी को बोलकर, लिखकर, इलेक्ट्रॉनिक तरीके या अन्य किसी माध्यम से तलाक देता है, तो वह अमान्य और गैर-संवैधानिक माना जाएगा.


अधिवक्ता का बयान
इस मामले में अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला का कहना है कि ट्रिपल तलाक के मामले में बनाया गया कानून संपूर्ण देश में लागू होता है. किसी भी धर्मगुरु को कानून से इतर जाने का अधिकार नहीं है.


रिपोर्ट: अजय मिश्रा (रीवा)