डिजिटल के इस जमाने में साइबर ठग भी हमारे खातों में सेंध लगाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. साइबर ठग लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए सिम स्वैपिंग का तरीका अपना रहे हैं,
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मोदी सरकार डिजिटलाइजेशन को लगातार बढ़ावा दे रही है. अब बैंकों के ज्यादातर काम ऑनलाइन ही होने लगे हैं. सरकार की पहल पर ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए पैसों का लेन-देन बहुत आसान हो गया है. यूं कहें कि अब बैंक आपके फोन में ही आ गया है. मोबाइल के जरिए चंद मिनटों में ही हम किसी को भी पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. लेकिन ये सुविधा जितनी आसान है, उनती खतरनाक भी है. क्योंकि डिजिटल के इस जमाने में साइबर ठग भी हमारे खातों में सेंध लगाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. साइबर ठग लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए सिम स्वैपिंग का तरीका अपना रहे हैं,
क्या है सिम स्वैपिंग?
-ग्राहक के उस मोबाइल नंबर को टारगेट किया जाता है
- जो मोबाइल नंबर बैंक खाते के साथ लिंक्ड होता है
- साइबर ठग ग्राहक के मोबाइल नंबर के सिम को आपके नाम से एक्टिवेट करा लेते हैं
- ग्राहक जिस सिम का इस्तेमाल कर रहा होता है उसकार डुप्लीकेट सिम निकलवा लिया जाता है
- ग्राहक का नंबर हैकर्स इस्तेमाल करने लगते हैं
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ठग कैसे बनाते हैं लोगों को शिकार
ठग इसके बाद आपके मोबाइल नंबर पर आने वाले ओटीपी, आपके कॉल और मैसेज उसके पास जाते हैं. आपके सिम के डाटा को हैक कर लिया जाता है. जैसे ही ग्राहक ट्रांजेक्शन के लिए मोबाइल बैंकिंग या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं ओटीपी हैकर्स तक भी पहुंचती है. देखते ही देखते हैकर्स एक झटके में आपका खाता खाली कर सकते हैं.
सिम को स्वैप करने के लिए हैकर्स मोबाइल ऑपरेटर से संपर्क साधते हैं. वह उन्हें यह भरोसा दिलाने में कामयाब हो जाते हैं कि वे हैकर नहीं बल्कि ग्राहक ही है. कई बार मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी इस मिलीभगत में शामिल हो जाते हैं. उन्हें इसके बदले पैसा मिलता है.
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