रायपुर : छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है. उनकी मेहनत ने उन्हें डीएम से सीएम की कुर्सी तक पहुंचाया. लेकिन जोगी के सीएम बनने के सफर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की भविष्यवाणी की भी अहम भूमिका रही है. दिग्गी ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि राजनीति में जोगी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है.


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दिग्विजय ने कहा था कि भविष्य में कभी प्रदेश में आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो उसका गौरव जोगी को ही हासिल होगा. साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ तब सीएम बनने की रेस में तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके श्यामा चरण शुक्ल, उनके भाई विद्या चरण शुक्ल और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा जैसे दिग्गज थे.


लेकिन सीएम का दावा ठोकते हुए जोगी ने आदिवासी छवि को खूब भुनाया. उनका सबसे बड़ा तर्क होता था कि ‘‘ये लोग कैसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इनमें से कोई भी स्थानीय छत्तीसगढ़ी भाषा में बात नहीं कर सकता. इस तर्क को सही मानते हुए सोनिया गांधी ने जोगी को प्राथमिकता दी.


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 यह संयोग ही था कि जब छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजीत जोगी के नाम पर मुहर लगाई तो राज्य के नेताओं व विधायकों के बीच सहमति बनाने की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को ही सौंपी गई थी. दिग्विजय के नेताओं के बीच समन्व्य बैठाने के बाद जोगी के सिर ही सीएम का ताज सजा.


कांग्रेस में आगे बढ़ने में जोगी को उनकी आदिवासी पृष्ठभूमि का भरपूर फायदा मिला. लंबे समय तक वह गांधी परिवार के विश्वस्त नेताओं में रहे. एक समय कांग्रेस के भविष्य के नेताओं में उनकी गिनती होने लगी थी. मुख्यमंत्री बनने के पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर उनका कार्यकाल आज भी याद किया जाता है.


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