इमरती और सुरेश राजे रिश्ते में समधी-समधन है. बता दें कि सुरेश राजे के बड़े भाई के बेटे से इमरती देवी के भाई की बेटी की शादी हुई है इस लिहाज से दोनों समधी-समधन है. बीजेपी से 2018 विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सुरेश राजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है.
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डबरा: प्रदेश के इस उपचुनाव में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. जिस इमरती देवी को लोगों ने तीन बार बतौर कांग्रेस प्रत्याशी जिताया, वह अब भाजपा की प्रत्याशी होंगी और पिछले चार दशक से बीजेपी का झंडा उठाने वाले सुरेश राजे इस बार कांग्रेस की तरफ से मैदान में है. 2018 विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सुरेश राजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है.
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समधी समधन का मुकाबला
इमरती और सुरेश राजे रिश्ते में समधी-समधन है. बता दें कि सुरेश राजे के बड़े भाई के बेटे से इमरती देवी के भाई की बेटी की शादी हुई है इस लिहाज से दोनों समधी-समधन है. दोनों के बीच 2013 विधानसभा चुनाव में मुकाबला हो चुका है. तब इमरती कांग्रेस उम्मीदवार थी. उनके समधी सुरेश बीजेपी के प्रत्याशी थे. इस चुनाव में इमरती ने सुरेश को 32 हज़ार वोट से हराया था. अब उपचुनाव ग्वालियर की डबरा सीट पर 2018 के चुनाव में समधन के पक्ष में चुनाव प्रचार करने वाले सुरेश राजे इस बार उनके विरोधी बन सामने खड़े है. इमरती देवी का समधी सुरेश राजे से मुकाबला होगा. डबरा से कांग्रेस ने सुरेश राजे को प्रत्याशी बनाया है.
समधी के वोट मिले समधन को
साल 2018 के चुनाव में सुरेश राजे को बीजेपी ने नजरअंदाज किया था. राजे के 2018 चुनाव में खड़े नही होने से उनके प्रभाव के वोट भी इमरती देवी को मिले थे और वे 57 हजार वोटों के बड़े अंतर से जीती थी. अब उपचुनाव में इमरती देवी के साथ कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष मोहनसिंह राठौर दिख तो रहे हैं लेकिन बीजेपी के स्थापित नेता और कार्यकर्ता खामोश बैठे है.
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राजनीति में कोई रिश्तेदारी नही
कांग्रेस उम्मीद्वार सुरेश राजे का कहना हैं कि राजनीति में कोई किसी की रिश्तेदारी नहीं होती है. उनका मुकाबला समधन से नही बल्कि बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी से है. सुरेश राजे का दावा हैं कि जिन लोगों ने जनमत बेचा है, ऐसे लोगों को जनता इस बार सबक सिखाएगी.
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