हुबली: 'गूंजे कहीं पे शंख कहीं पर अज़ान हो, जब जिक्रे एकता हो तो हिन्दुस्तान हो'. कर्नाटक के हुबली में उर्दू के इस मशहूर शेर की व्याख्या करने वाली कुछ तस्वीरें सामने आई है. यहां पर एक ही पंडाल में भगवान गणेश की मूर्ति और मुहर्रम की निशानियां रखी गई हैं. इन दिनों देश में गणेशोत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है और इसी बीच मुहर्रम भी शुरू हो चुका है, ऐसे में हुबली के धारवाड़ जिले में सौहार्द की बेहतरीन मिसाल देखने को मिली है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

धारवाड़ जिले में गांव के नौजवानों ने एकता की मिसाल पेश करते हुए एक साथ गणेश चतुर्थी और मुहर्रम मनाने की शुरुआत की थी. श्रद्धालु मोहन ने कहा कि यहां पहले भी इसी तरह एक ही पंडाल के नीचे गणेश चतुर्थी और मुहर्रम का आयोजन किया गया है. हम उसी परंपरा को आगे लेकर चल रहे हैं. ये रस्म पूरे मुल्क में नाफिज़ करनी चाहिए. वहीं, मौलाना ज़ाकिर काज़ी ने कहा कि हर 30-35 सालों में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम की तिथियां टकराती हैं. इस गांव में कोई भी हिंदू या मुसलमान अकेला नहीं है, दोनों एक साथ आते हैं.


ये भी पढ़ें : सिंधिया पर सियासी संग्राम: कांग्रेस ने बताया भू-माफिया, बीजेपी बोली-"झूठी है कांग्रेस"


एक तरफ जहां मौलाना ज़ाकिर काज़ी हिंदू-मुसलमान की जगह हिन्दुस्तान की बात करने पर जोर देते हैं. वहीं मोहन का कहना है कि आपसी भाईचारा ही हिन्दुस्तान की असल पहचान है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट  ने मुहर्रम की ताजिया निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मांग को नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.


WATCH LIVE TV: