राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से कांग्रेस का हाथ छोड़ा है. तब से विपक्षी पार्टी उनपर हमलावर है. अब उपचुनाव की सुगबुगाहट के बाद ये हमले और तेज हो गए हैं. कांग्रेस सिंधिया को भू माफिया साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.
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ग्वालियर: राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से कांग्रेस का हाथ छोड़ा है. तब से विपक्षी पार्टी उनपर हमलावर है. अब उपचुनाव की सुगबुगाहट के बाद ये हमले और तेज हो गए हैं. कांग्रेस सिंधिया को भू माफिया साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. पार्टी नेता के के मिश्रा ने आरोप लगाया कि सिंधिया केवल जमीन के सिलसिले में कमलनाथ से मिलते थे. वहीं कांग्रेस के इस आरोप पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है.
दरअसल, तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को 146 एकड़ भूमि 99 साल के लिए 100 रुपये टोकन मनी पर लीज पर दिए जाने को लेकर कांग्रेस नेता के के मिश्रा ने सिंधिया को अपने निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि सिंधिया जब भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलते थे तो उनके पास ग्वालियर या इस अंचल से जुड़े कोई विकास कार्य का मुद्दा नहीं होता था केवल सिंधिया ट्रस्ट के नाम जमीन नामांतरण और अपने पसंदीदा अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का मसला ही होता था. उन्होंने कहा कि जब पूर्व मंत्री कमलनाथ ने सिंधिया के जमीन नामांतरण के कार्यों को करना बंद कर दिया तो वह अपने 22 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए.
कमलनाथ सरकार में सिंधिया सोसायटी को 100 रुपए में दी गई 146 एकड़ जमीन, कैबिनेट कमेटी करेगी रिव्यू
वहीं कांग्रेस के इस वार पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी नेता कमल माखीजानी का कहना है कि कांग्रेस को यह समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर किस नियम के तहत उन्होंने यह जमीन सिंधिया ट्रस्ट को दी है, यदि गलत नियमों के चलते यह जमीन दी गई होगी तो निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह की समिति इस पूरे मामले की जांच भी करेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया का काम करना बंद कर दिया तब उन्होंने सरकार को छोड़ा.
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गौरतलब है कि ग्वालियर के रहने वाले युवक ऋषभ भदौरिया ने 22 सरकारी सर्वे नंबर को स्थानीय प्रशासन के साथ साठगांठ करके सिंधिया ट्रस्ट के नाम कराए जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी दायर की है जिसको लेकर हाई कोर्ट ने ग्वालियर में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दस्तावेज भी तलब किए हैं.
बताया जाता है कि दिसंबर 2019 में कैबिनेट की बैठक में सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को 146 एकड़ जमीन लीज पर दिए जाने का प्रस्ताव मंजूर हुआ था और फरवरी में इस जमीन को लीज पर दिए जाने के आदेश भी जारी हो चुके थे. इस जमीन की वास्तविक कीमत 200 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है.
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