मनोज जैन/ उज्जैनः देशभर में आज धूमधाम से होली का त्योहार मनाया जा रहा है. दुनिया में और कहीं भी रंगों का त्योहार मनाने से पहले महाकाल की नगरी उज्जैन में होली खेल ली जाती है. दुनियाभर में प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन के बाद ही पंडे और पुजारियों ने महादेव के साथ होली खेल ली. यहां अनादिकाल से परंपरा चली आ रही है कि मंदिर में होली मनाने के बाद ही बाकी शहर और प्रदेश में होली मनाई जाती है.


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लॉकडाउन के कारण भक्तों को नहीं दिया प्रवेश
मध्य प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने होली के दिन भी लॉकडाउन लगाने का फैसला किया. इसके चलते पहली बार ऐसा हुआ कि बाबा महाकल ने बिना श्रद्धालुओं के रंग और गुलाल खेला. लॉकडाउन के कारण मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया गया, वहीं जिन दर्शनार्थियों ने दर्शन की पहले से बुकिंग कराई थी, उसे भी निरस्त कर दिया गया.


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महादेव को अबीर-गुलाल लगाकर हुआ शुभारंभ
मंदिर में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार रविवार को होलिका दहन के अवसर पर बाबा महाकाल को गुलाल लगाया गया. पण्डे-पुजारियों ने भक्ति में लीन होकर अबीर-गुलाल लगाकर महादेव की आरती की. परिसर में मंत्रोच्चारण के बाद होलिका दहन हुआ, हर साल जहां भक्तों से भरे परिसर में होली होती है, वहीं इस बार सांकेतिक होली खेली गई.


अनादिकाल से चली आ रही होली मनाने की परंपरा
महाकाल मंदिर में एक दिन पहले होली का पर्व मनाने की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है. सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में ही होलिका दहन होता है, फिर शहर भर में होली जलती है. होली के दिन भी पुजारी बाबा महाकाल की भस्मारती करेंगे और उन्हें प्रतीकात्मक रूप में गुलाल अर्पित करेंगे.


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लॉकडाउन का निर्णय सराहनीय
महाकाल मंदिर के पुजारी विकास ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा के सर्वार्थसिद्धी योग में होलिका दहन हुआ. महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली के बाद प्रजाजन रंगों का पर्व मनाएंगे. कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने महाकाल मंदिर व शहर में गाइडलाइन का पालन करते हुए होली मनाने की हिदायत दी. प्रशासन द्वारा मंदिर और शहर में लॉकडाउन लगाने का निर्णय सराहनीय है.


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