रायपुर: बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को जन्मे, छत्तीसगढ़ राजनीति में सबसे बड़ा नाम अजीत जोगी, अब इस दुनिया में नहीं हैं. रायपुर में आज उनका निधन हो गया.1968 में वे आईपीएस बने और दो साल बाद आईएएस बनकर देश की सेवा की. लगातार 14 साल तक कलेक्टरन बने रहने का रिकॉर्ड भी अजीत जोगी के नाम है.


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अजीत जोगी को कांग्रेस ही राजनीति में लेकर आई थी. फिर इसी पार्टी से उनका मोहभंग हुआ और उन्होंने अलग पार्टी भी बना ली. इनकी सबकी वजह सिर्फ एक स्टिंग ऑपरेशन था, जिसने जोगी और कांग्रेस के बीच खाई का काम कर दिया था. 


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छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने पर कांग्रेस ने अजीत जोगी को पहला सीएम बनाया. इसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले चुनाव 2003 में हुए, लेकिन जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस यह चुनाव हार गई. लेकिन तब जोगी यह समझ चुके थे कि सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता जनता से होकर जाता है. जोगी को यह लग गया था अब शायद उन्हें कोई हरा नहीं कर सकता. 


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चुनाव से पहले एक स्टिंग आपरेशन से पता चला कि वह और उनके बेटे अमित जोगी भाजपा की सरकार गिराने के लिए कथित तौर पर विधायकों को पैसे की पेशकश कर रहे थे. इस कांड के छींटे सोनिया गांधी पर भी पड़े और यहीं से जोगी व गांधी परिवार के बीच दूरियां बननी शुरू हो गईं. बावजूद इसके किसी विकल्प के अभाव में कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें अगले चुनाव में भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया, लेकिन तब तक यह साफ हो चुका था कि न तो कांग्रेस नेतृत्व जोगी को और सहने के पक्ष में है और न ही जोगी की नेतृत्व में कोई आस्था बची है.


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हालांकि जोगी को यह पता चल चुका था कि कांग्रेस में ठीक से बने रहने के लिए सोनिया गांधी का विश्वास जरूरी था, लेकिन इसे वे गंवा चुके थे. इसके बाद उनकी जो दुर्गति हुई जो किसी से छुपी भी नहीं है. 2004 में एक हादसे के बाद अजीत जोगी को पैरालिसिस हो गया था. जिसके बाद वह फिर कभी बिना व्हील चेयर के खड़े नहीं हो पाए. 6 जून 2016 को अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया. 23 जून 2016 को अजीत जोगी ने अपनी नई पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) बना ली थी.