Makar Sankranti पर क्यों खाया जाता है तिल और गुड़ का लड्डू, जानिए क्या है इसकी कहानी
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Makar Sankranti पर क्यों खाया जाता है तिल और गुड़ का लड्डू, जानिए क्या है इसकी कहानी

Makar Sankranti 2024: मकर संक्राति के मौके पर तिल और गुड़ के लड्डू खाने की परंपरा है. परंपरा के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. आइए जानते हैं कि संक्राति पर तिल और गुड़ के लड्डू क्यों खाना चाहिए-   

Makar Sankranti पर क्यों खाया जाता है तिल और गुड़ का लड्डू, जानिए क्या है इसकी कहानी

Importance of Til Gud Laddu on Sankranti: मकर संक्रांति का नाम सुनते ही पतंग, खिचड़ी और तिल-गुड़ के लड्डू की याद आने लगती है. संक्रांति पास आते-आते घरों में आसपास तिल और गुड़ की खुशबू भी आने लगती है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू खाने की परंपरा क्यों है. आखिर क्यों इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं. 

मकर संक्रांति का महत्व
सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है. इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं.सूर्य के मकर राशि में आते ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. साथ ही सूर्य के उत्तरायण होने से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. माना जाता है कि उत्तरायण में  मनुष्य प्रगति की ओर अग्रहसर होता है. 

गंगा मां धरती पर आईं
पौराणिक मान्यता है कि मां गंगा मकर संक्रांति वाले दिन पृथ्वी पर प्रकट हुईं. गंगा जल से ही राजा भागीरथ के  60,000 पुत्रों को मोक्ष मिला था. इसके बाद गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम के बाहर सागर में जाकर मिल गईं.

पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार सूर्यदेव अपने पुत्र शनि देव पर क्रोधित हो गए थे. इस दौरान गुस्से में आकर उन्होंने अपने तेज से शनि देव के एक घर को जला कर राख कर दिया था. शनिदेव का वह घर है कुंभ राशि. शनि देव ने अपने पिता से क्षमा मांगी और उनकी वंदना की तो सूर्यदेव का क्रोध शांत हुआ. पुत्र शनि देव पर कृपा करके सूर्य देव ने कहा कि वह हर साल जब भी राशि चक्र में भ्रमण करते हुए मकर राशि में आएंगे तो शनि महाराज के घर को धन धान्य और खुशियों से भर देंगे.

गुड़-तिल का महत्व
इसी कथा में ये बात सामने आती है कि शनि देव के घर जब सूर्य देव का आगमन हुआ तो शनि महाराज ने तिल और गुड़ से पिता सूर्य देव की आराधना की.साथ ही उन्हें भोजन में तिल और गुड़ खिलाया. सूर्य देव पुत्र द्वारा तिल और गुड़ भेंट करने से काफी खुश हुए और शनिदेव से कहा- जो भी मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से मेरी पूजा करेगा उस पर शनि सहित मेरी कृपा बनी रहेगी.तो ऐसे में मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने की परंपरा शुरू हो गई. 

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तिल-गुड़ का वैज्ञानिक महत्व 
संक्रांति पर तिल-गुड़ खाने का वैज्ञानिक महत्व भी है. दरअसल, सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है. कड़ाके की ठंड के बाद एक दम से लोगों को सूर्य की तेज मिलनी शुरू हो जाती है. इससे लोगों को ठंड से राहत मिलने लगती है. ऐसे में मौसम में होने वाले बदलाव के दौरान सेहत को सही रखने के लिए मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, खिचड़ी खाते हैं.

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