भोपालः मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़े थे. कमलनाथ सरकार गिराकर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 28 सीटों पर उपचुनावों में अपना गढ़ बचाने के लिए खुद को पूरी तरह झोक दिया. लेकिन जब परिणाम तो आए तो चंबल में कमलनाथ ने सिंधिया तकड़ा झटका लगा. सिंधिया के गढ़ में कमलनाथ  ने सेंधमारी कर दी. 


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चंबल में फीका रहा सिंधिया का जादू 
मुरैना जिले की सबसे ज्यादा पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. यहां कांग्रेस ने तीन सीटें जीते. जबकि बीजेपी को सिर्फ दो ही सीटें ही मिली. जो सिंधिया के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. मुरैना, दिमनी और सुमावली सीट पर बीजेपी प्रत्याशी चुनाव हार गए. जबकि यहां सिंधिया ने तबाड़तोड़ मेहनत की थी. बावजूद इसके सिंधिया को यहां हार मिली. 


इन सीटों पर हारे सिंधिया समर्थक 
दिमनी 
दिमनी सीट पर सिंधिया समर्थक बीजेपी प्रत्याशी गिर्राज डण्डौतियां को कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर से करारी हार मिली. जबकि सिंधिया ने गिर्राज डण्डौतियां को राज्यमंत्री भी बनाया था. बावजूद इसके उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 


करैरा 
इस सीट पर बीजेपी के जसवंत जाटव  कांग्रेस के कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव 30641 वोटों से चुनाव हार गए. जबकि सिंधिया ने यहां तीन सभाएं की थी. लेकिन फिर भी सिंधिया का जादू नहीं चला. 


मुरैना 
मुरैना सीट सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़ी थी. यहां रघुराज सिंह कंषाना चुनाव मैदान में थे. लेकिन कभी सिंधिया के ही समर्थक रहे कांग्रेस नेता राकेश मावई ने रघुराज सिंह कंसाना को  5751 वोट से चुनाव हार दिया. 


सुमावली
सुमावली सीट पर भी मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना को हार का सामना करना पड़ा. भले ही ऐंदल सिंह कंसाना सिंधिया समर्थक न हो लेकिन यहां सिंधिया ने ऐंदल सिंह समर्थन में जमकर प्रचार किया था. बावजूद इसके कंसाना कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाहा से चुनाव हार गए. 


गोहद
गोहद सीट तो सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़ी थी. सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव के लिए उन्होंने सबसे ज्यादा मेहनत की थी. इसके बाद भी सिंधिया कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव ने रणवीर जाटव को 11899 वोट के अंतर से चुनाव हरा दिया. जो सिंधिया के लिए चंबल में बड़ा झटका माना जा रहा है. 


कमलनाथ ने जमकर किया था प्रचार 
सिंधिया के गढ़ चंबल में कमलनाथ ने जमकर प्रचार किया था. जबकि कमलनाथ सरकार मंत्री रहे विधायक भी यहां लगातार कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे रहे. जिसका फायदा शायद कांग्रेस को नतीजों में मिला और पार्टी यहां पांच सीटें जीतने में कामयाब रही. इस तरह कांग्रेस ने हारकर भी चंबल में सिंधिया को करारा जवाब दिया.


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