सबसे छोटी जीत, सबसे बड़ी हार...आ गए हैं परिणाम, जानिए सबसे रोचक 10 फैक्ट्स
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सबसे छोटी जीत, सबसे बड़ी हार...आ गए हैं परिणाम, जानिए सबसे रोचक 10 फैक्ट्स

इस खबर में आपको एमपी विधानसभा उपचुनाव के सबसे रोचक तथ्य मिलेंगे. पढ़िए...

सबसे छोटी जीत, सबसे बड़ी हार...आ गए हैं परिणाम, जानिए सबसे रोचक 10 फैक्ट्स

भूपेंद्र राय/ भोपाल: उपचुनाव में मिली जीत के बाद मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार अब पूर्ण बहुमत वाली सरकार बन चुकी है. उपचुनाव में 28 में से 19 सीटें जीतकर बीजेपी 107 से 126 सीटों पर पहुंच गई है, जो बहुमत के आंकड़े 115 से 11 सीटें ज्यादा है, जबकि कांग्रेस के खाते में 9 सीटें गई हैं. 10 नवंबर को घोषित हुए चुनाव परिणामों के दौरान कुछ रोचक तथ्य भी सामने आए हैं.

1. सबसे बड़ी और कम अंतर वाली जीत

इस उपचुनाव में सबसे बड़ी जीत सांची सीट से प्रभुराम चौधरी ने हासिल की, उन्होंने 63,809 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी मदनलाल चौधरी को हराया. वहीं सबसे कम अंतर वाली जीत भांडेर सीट पर हुई, यहां बीजेपी की रक्षा सरोन्या ने 161 वोट से कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को मात दी.

2. नेपानगर में बरकार रहा 43 साल पुराना इतिहास
नेपानगर सीट पर पिछले 43 साल का इतिहास है कि यहां से जिस पार्टी का प्रत्याशी विधायक बनता है, प्रदेश में उसी की सरकार रहती है. इस बार यहां बीजेपी की सुमित्रा कास्डेकर ने कांग्रेस उम्मीदवार रामकिशन पटेल को हराया और एमपी में बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है.

3. मुरैना से मंत्री को नहीं मिलती जीत
मुरैना जिले से जुड़ा एक मिथक है कि यहां से जो भी मंत्री बनता है, वो आगे चुनाव नहीं जीतता, इस उपचुनाव में भी ये मिथक सटीक बैठा. मुरैना जिले की दोनों सीटों दिमनी और मुरैना से गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना चुनाव हार गए.

4. ब्यावरा सीट के दोनों प्रत्याशी कोरोना संक्रमित
राजगढ़ की ब्यावरा सीट पर चुनाव लड़े बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशी कोरोना संक्रमित थे. मतदान के अगले दिन दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार रामचंद्र दांगी, ने बीजेपी के नारायण पंवार को हराया है.

5. मंत्री ने चार साल में लड़े तीन चुनाव, सभी जीते
मुंगावली सीट से चार साल में लगातार तीन बार मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने चुनाव लड़ा और हर चुनाव में जीते. 2017 में उपचुनाव, 2018 में मुख्यचुनाव और 2020 का उपचुनाव लड़कर उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई. इस बार उन्होंने कांग्रेस के कन्हई राम लोधी को हराया.

6. चार मंत्रियों को मिले 1-1 लाख से ज्यादा वोट
उपचुनाव में शिवराज सरकार के चार मंत्रियों ने एक-एक लाख से ज्यादा वोट हासिल किए. प्रभुराम चौधरी को कुल 1 लाख 16 हजार, 577, तुलसी सिलावट को 1 लाख 14 हजार 24, महेंद्र सिंह सिसोदिया को 1 लाख एक हजार 124, 1 लाख 17 हजार 955 वोट हरदीप सिंह डंग ने प्राप्त किए.

7. यहां जितने वोट नहीं मिले, उससे ज्यादा से हार गए
बमोरी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया लाल अग्रवाल को कुल 47 हजार 971 वोट मिले, जबकि उनकी हार 53 हजार 153 वोटों से हुए. वहीं सांची सीट पर कांग्रेस के मदन लाल चौधरी को कुल 52 हजार 768 वोट मिले, जबकि 63 हजार 809 वोट हार हुई.

8. नोटा को मिले .88 फीसदी वोट
इस उपचुनाव में नोटा ने .88 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं. तीन बड़ी पार्टियों बीजेपी, कांग्रेस, बसपा को छोड़कर का नोटा चौथे स्थान पर रहा. नोटा के नीचे सपा, कम्युनिस्ट और अन्य पार्टियां रहीं.

9. जिन इमरती देवी के आस-पास पूरा चुनाव प्रचार घूमा, वही हार गईं
डबरा से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी ने चुनाव जीतने के लिए दिनरात एक कर दिया. उपचुनाव में डबरा और इमरती देवी ने खूब सुर्खियां बटोरीं, लेकिन अंत में उन्हें हार मिली. कांग्रेस के टिकट पर डबरा से ही 57,446 वोटों से जीतीं इमरती देवी को कांग्रेस के सुरेश राजे ने हराया.

10. तुलसी सिलाटव ने उपचुनाव में बनाया जीत का रिकॉर्ड, गुड्डू हार में आगे
इंदौर की सांवेर सीट पर चुनाव लड़ने वाले तुलसी सिलावट और प्रेमचंद गुड्ड का ये दूसरा चुनाव था. जहां तुलसी सिलावट ने दोनों बार जीत हासिल की, वहीं गुड्डू को हार मिली.  2007 में तुलसी सिलावट कांग्रेस की टिकट पर  सांवेर से ही उपचुनाव जीत चुके हैं. जबकि प्रेमचंद गुड्‌डू 1996 में कांग्रेस की टिकट पर आलोट का उपचुनाव लड़े थे और उन्हें हार मिली थी.

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