भोपाल/विवेक पटैया: मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है. उससे पहले सदन में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इस पर कांग्रेस पार्टी के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा छिड़ी हुई है. इस बात की अटकलें हैं कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं. वजह यह बताई जा रही ​है कि पूर्व सीएम खुद को सिर्फ प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद तक सीमित रखकर राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए काम करना चाहते हैं. 


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उमंग सिंघार को भी नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग उठ रही है
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दो सबसे बड़े चेहरे हैं. एक के नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने की चर्चा है और दूसरा प्रदेश की राजनीति से दूरी बनाकर दिल्ली कूच कर चुका है. ऐसे में यह कयासबाजी होनी लाजिमी है कि कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष का पद किसे सौंपती है. इसके लिए पार्टी के अंदर दावेदारों की कमी नहीं है. पूर्व मंत्री डॉ गोविन्द सिंह, युवा नेता जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, महिला नेत्री विजय लक्ष्मी साधौ और बाला बच्चन का नाम चर्चाओं में है.


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कमलनाथ के करीबी और वफादार मानें जाते हैं बाला बच्चन
अगर कमलनाथ ने आदिवासी कार्ड खेला तो मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री बाला बच्चन नेता प्रतिपक्ष की रेस में अन्य को पछाड़ सकते हैं. कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान से चर्चा में कमलनाथ ने बाला बच्चन का नाम आगे बढ़ाया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि बाला बच्चन के नाम पर हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व के बीच सहमति बनती दिखाई दे रही है और नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में डॉ. गोविन्द सिंह, जीतू पटवार और विजय लक्ष्मी साधौ पिछड़ चुके हैं. हालांकि पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को भी नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग उठी है. दरअसल, बाला बच्चन को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का करीबी माना जाता है. नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में उनके आगे होने की एक बड़ी वजह यह भी है. 


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इससे पहले आदिवासी जमुना देवी रह नेता प्रतिपक्ष चुकीं हैं 
बाला बच्चन वर्ष 2013 से 2018 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभा चुके हैं. जहां तक बात आदिवासी नेता के असेंबली में लीडर ऑफ अपोजिशन बनने की बात है तो जमुना देवी दो बार इस पद पर रह चुकी हैं. पहली बार वर्ष 2003 से 2008 तक वह नेता प्रतिपक्ष रहीं, उसके बाद 2009 में दोबारा नेता प्रतिपक्ष बनीं. उनके निधन के बाद जनवरी 2011 में अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष बने. जनवरी 2014 में सत्यदेव कटारे नेता प्रतिपक्ष बने. 2016 में सत्यदेव कटारे के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर अजय सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी. उस वक्त विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन थे.  


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