प्रमोद सिन्हा/खंडवा: शहर के बीच बने घंटाघर की वर्षों पुरानी घड़ियां बुधवार को बदल दी गई. देश की आजादी के संघर्ष के दौरान लगभग हर शहर में इस तरह के घंटाघर बनाए गए थे. देश आजाद होने के बाद हर गांव और शहर ने विकास तो किया लेकिन रखरखाव के अभाव के कारण घड़ियां बंद हो गई. इन घड़ियों के पुनः चालू करने की मांग वर्षो से चली आ रही थी. जिसे देखते हुए नगर निगम ने इन घड़ियों को बदल दिया. बंद पड़ी इन घड़ियों को वास्तु दोष के नजरिए से भी देखा जा रहा था और अब उम्मीद की जा रही है कि इन घड़ियों के चलने से शहर का विकास भी चल निकलेगा.


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बता दें कि देश के हर शहर में इस समय स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान चल रहा है. इसी अभियान के तहत खंडवा शहर के हृदय स्थल घंटाघर को भी नया लुक दिया जा रहा है.


बंद घड़ियों से रुका था शहर का विकास
समाजसेवी सुनील जैन का कहना हैं कि कुछ समय पूर्व शहर में आए जैन संत ने भी घंटाघर की बंद पड़ी इन घड़ियों को वास्तु दोष के नजरिए से देखा था और इन बंद घड़ियों को शहर का विकास अवरुद्ध होने का बड़ा कारण माना था. तभी से खंडवा शहर के समाजसेवी लोग भी इन घड़ियों को पुनः प्रारंभ करने या इनके स्थान पर नई घड़ियां लगाने की मांग कर रहे थे.


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शहर का विकास समय की तरह चलेगा
नगर निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट का कहना हैं कि पिछले 15 दिन से शहर के हृदय स्थल घंटा घर को साफ सुथरा और नया लुक देने का प्रयास किया जा रहा है. पूरे घंटाघर और इसके आसपास बने पार्क को भी सजाया संवारा जा रहा है. इसी कड़ी में घंटाघर के शिखर पर लगी चारों दिशाओं की चारों घड़ियों को बदला गया है. नगर निगम आयुक्त का मानना है कि इन घड़ियों के चालू रहने से शहर का विकास भी गति पकड़ेगा, उम्मीद है जिस गति से यह घड़ियां चलेंगी उसी गति से शहर का विकास भी आगे बढ़ेगा.


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