Lok Sabha Elections 2024: आगर-मालवा जिले का आमला गांव पहली नजर में सामान्य गांवों की तरह ही नजर आता है. लेकिन जब चुनाव आते हैं तो इस गांव की चर्चा सियासी गलियारों में खूब होती है, खासतौर पर मालवा जोन में. क्योंकि इस छोटे से गांव की बागडोर 2 सांसद, 2 विधायक संभालते हैं. जबकि अधिकारियों की बात की जाए तो 4 तहसीलदार, 2 सीईओ और 4 थानों की पुलिस का यहां सीधा दखल रहता है. आप सोच रहे होंगे भला इस गांव में ऐसा भी क्या खास है जिसके चलते 250 मकानों और 1500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में पर इतना फोकस किया जाता है, तो इसकी वजह हम आपको बताते हैं. 


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चार तहसीलों में बंटा हैं आमला गांव 


दरअसल, आगर-मालवा जिले साल 2013 में अस्तित्व में आया था. ऐसे में जिले में आने वाला आमला गांव चार तहसीलों के बीच बंट गया. जिससे इस गांव का सियासी और राजस्व दोनों नक्शे बदल गए. क्योंकि आमला गांव का कुछ हिस्‍सा आगर तहसील में, कुछ हिस्‍सा सुसनेर तहसील में कुछ नलखेड़ा में तो कुछ बड़ोद तहसील में आ गया. ऐसे में गांव की गलियां तक अलग-अलग तहसील में आ गई. एक ही गांव में और एक ही मोहल्‍ले में रहने के बाद भी दो भाई अलग-अलग तहसील में रहते है उनके विधायक और सांसद भी अलग है, राशन कार्ड, वोटर आईडी सबकुछ अलग-अलग है. 


2 विधायक और 2 सांसद 


चार तहसीलों में बंटा होने के चलते इस गांव में दो विधानसभा क्षेत्र लगते हैं, तो गांव दो संसदीय क्षेत्र देवास और राजगढ के तहत आता है, ऐसे में इस गांव के वोटर्स भी दो विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्रों में आते हैं, जिससे गांव के लोग दो सांसद और दो विधायक चुनते हैं. वहीं गांव में चार थाना क्षेत्रों की सीमा भी लगती है. यह गांव दो पंचायत में बंटा है गांव का एक हिस्सा ग्राम पंचायत आमला में है, तो दूसरा हिस्सा आमला चौराहा से लगभग 5 किमी दूर ग्राम पंचायत सेमलखेडी में जुडा है. यानी ग्राम के विकास का जिम्‍मा भी दो सरपंचों पर हैं. फिलहाल राजगढ संसदीय क्षेत्र के बीजेपी के रोडमल नागर और देवास शाजापुर संसदीय क्षेत्र के महेंद्र सोलंकी सांसद हैं, दोनों इस बार भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं आगर विधानसभा सीट से बीजेपी के मधु गहलोत आधे गांव के विधायक हैं, तो सुसनेर से कांग्रेस के भेरो सिंह परिहार गांव के दूसरे क्षेत्र के विधायक हैं. 


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एक ही परिवार के लोग अलग-अलग करेंगे मतदान 


खास बात यह है कि इस गांव के एक मोहल्‍ले में बनी एक सडक के दोनों तरफ एक परिवार रहता है, सड़क के एक तरफ रहने वाले पिता और एक बेटा इस बार राजगढ़ संसदीय क्षेत्र के लिए 7 मई को मतदान करेंगे. जबकि दूसरी तरफ रहने वाला एक औ बेटा देवास संसदीय क्षेत्र के लिए वोट करेगा. गौर करने वाली बात यह है कि एक संसदीय क्षेत्र में आने वाले मतदाता 6 किलोमीटर दूर चलकर मतदान करने पहुंचेंगे. जबकि दूसरे संसदीय क्षेत्र के मतदाता घर से महज 100 मीटर की दूरी पर ही मतदान केंद्र पर वोटिंग करने जाएंगे. 


विशेषता ही उपेक्षा का कारण 


चुनावों में जितना यह गांव चर्चा में रहता है उतना ही परेशानियां भी उठानी पड़ती है. चार अलग-अलग तहसीलों में बंटे होने की वजह से ग्रामीणों को सरकारी कामों में भी कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चार तहसीलों में विभाजित होना आमला गांव के लिए जितनी विशेषता है, उतना ही यह उसकी उपेक्षा का कारण भी माना जाता है. साल 2013 में आगर मालवा को जिला बनाया उस समय भी अधिकारियों ने जो जिले का परिसीमन किया था तब इस समस्या का ध्यान नहीं रखा गया. 


आगर-मालवा से कनीराम यादव की रिपोर्ट 


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