दोस्ती पर सियासत भारी: 2018 में एक साथ पहुंचे विधानसभा, 2023 में सांसद बनने के लिए आमने-सामने
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2179282

दोस्ती पर सियासत भारी: 2018 में एक साथ पहुंचे विधानसभा, 2023 में सांसद बनने के लिए आमने-सामने

Damoh Lok Sabha Seat: दमोह लोकसभा सीट पर इस बार दो दोस्त सियासी मैदान में आमने-सामने नजर आ रहे हैं, जो कभी एक साथ विधानसभा पहुंचे थे, वो इस बार सांसद बनने के लिए मैदान में हैं. 

दमोह का दंगल

Rahul Singh Lodhi vs Tarwar Lodhi: बुंदेलखंड अंचल की दमोह लोकसभा सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है. क्योंकि दो दोस्त इस बार 'दमोह के दंगल' आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां पूर्व विधायक राहुल सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने भी पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी पर दांव खेला है, ये दोनों नेता आपस में दोस्त माने जाते हैं और 2018 के विधानसभा चुनाव में एक साथ विधानसभा पहुंचे थे. खास बात यह है कि दोस्ती के साथ-साथ दोनों की जाति (लोधी) भी एक ही है. ऐसे में यहां चुनाव बेहद रोचक होता नजर आ रहा है. 

भोपाल के बाद दिल्ली जाने की होड़ 

राहुल सिंह लोधी और तरवर सिंह लोधी 2018 में कांग्रेस के टिकट पर एक साथ विधानसभा का चुनाव जीते थे, राहुल ने दमोह सीट से भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री जयंत मलैया को हराया था तो तरबर लोधी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सागर जिले के बंडा सीट से जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि दोनों विधानसभा सीटें अलग-अलग जिले में आती हैं, लेकिन दोनों का लोकसभा क्षेत्र एक है. लेकिन अब 6 साल बाद दोनों के बीच दिल्ली की दौड़ शुरू हो गई है, दरअसल, बदलते समीकरणों की वजह से दो दोस्तों को नियति आमने-सामने लेकर आई है. दरअसल, 2018 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद राहुल सिंह लोधी कांग्रेस और विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. पार्टी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया था. लेकिन दमोह सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 

2023 में एक की हार दूसरे को नहीं मिला मौका 

2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं को एक तरह से निराशा हाथ लगी. दरअसल, बीजेपी ने राहुल सिंह लोधी को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया, जबकि कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को फिर से चुनाव लड़ाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में दोनों नेताओं को चुनाव में निराशा हाथ लगी थी. खास बात यह है कि जब राहुल ने कांग्रेस छोड़ी तब तरबर के नाम की चर्चाएं भी जोरों पर थी, दोनों की जोड़ी दिल्ली में कुछ भाजपा नेताओं के यहां भी दिखाई दी थी. लेकिन तरबर पूरे पांच साल कांग्रेस से ही विधायक रहे थे. ऐसे में 2018 में एक साथ चुनाव जीतने वाले दोनों दोस्त 2023 आते-आते केवल पूर्व विधायक ही रह गए. 

ये भी पढ़ेंः चंबल से लेकर निमाड़ तक 3 सीटों पर फंसी कांग्रेस, 'पंडित-ठाकुर' के चक्कर में उलझा मामला

फिर एक साथ मिला मौका 

कहते सियासत हर पल बदलती रहती है. 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों युवा चेहरों की राजनीति हाशिये पर जाती दिख रही थी, लेकिन किस्मत ने दोनों को फिर एक साथ मौका दिया है. बीजेपी ने राहुल सिंह लोधी को तो कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है. राहुल और तरवर की दोस्ती भी बड़ी गहरी बताई जाती है, विधायक के ढाई साल के कार्यकाल में दोनों भोपाल में साथ-साथ नजर आया करते थे. लेकिन अब अलग-अलग दलों से प्रतिद्वंदी के रूप में दिखेंगे. दोनो एक ही जाति लोधी वर्ग से आते हैं और दमोह संसदीय क्षेत्र लोधी बाहुल्य इलाका माना जाता है. ऐसे में लोधी वर्ग भी अब असमंजस की स्थिति में जरूर होगा. 

बीजेपी का गढ़ है दमोह लोकसभा सीट 

दमोह लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, पार्टी यहां से पिछले 8 चुनावों से जीत रही है. 2014 और 2019 में बीजेपी के कद्दावर नेता और फिलहाल मोहन सरकार में मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल यहां से सांसद चुने गए थे. इसके पहले भी दमोह से चंद्रभान सिंह लोधी और शिवराज सिंह लोधी भी सांसद रह चुके हैं. दोनो दलों ने लोधी उम्मीदवारों पर पहले भी यकीन किया और मौजूदा चुनाव में भी सियासी दलों की पसंद लोधी ही रहे हैं. जबकि इलाके में ब्राह्मण कुर्मी यादव वोटर्स भी बड़ी संख्या में है. कुल मिलाकर इस सीट पर मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है. 

दमोह से महेंद्र दुबे की रिपोर्ट 

ये भी पढ़ेंः पहले चरण की 6 लोकसभा सीटों पर मामला क्लीयर, जानिए किस सीट पर कितने उम्मीदवार लड़ेंगे चुनाव

Trending news