MP Lok Sabha Elections 2024: बुंदेलखंड अंचल में आने वाला खजुराहो देश-विदेश में अपने पर्यटन के लिए जितनी अपनी पहचान रखता है, उतना ही खजुराहो अपनी सियासत के लिए भी जाना जाता है. खजुराहो लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की अहम सीट मानी जाती है. जानिए खजुराहो लोकसभा सीट के समीकरण.
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Khajuraho Constituency Election: राजनीति के क्षेत्र में अक्सर माना जाता है कि जनता अपने स्थानीय प्रत्याशी को ज्यादा पसंद करती है. लेकिन बुंदेलखंड अंचल की खजुराहो लोकसभा सीट का इतिहास इससे जुदा है. क्योंकि यहां से अक्सर बाहरी प्रत्याशी चुनाव जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं, खास बात यह भी हैं कि खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले सांसदों ने प्रदेश और देश की राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बनाया है. ऐसे में खजुराहो लोकसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी रहती है. 2019 के चुनाव में बीजेपी के वीडी शर्मा यहां से चुनाव जीते थे, चुनाव जीतने के बाद उन्होंने तेजी से राजनीति में अपनी जड़े जमाई हैं.
बीजेपी का मजबूत गढ़ बन चुका है खजुराहो
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों की विधानसभा सीटों से मिलकर बनता है, जिसमें छतरपुर, पन्ना और कटनी शामिल है. खजुराहो लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है, बीजेपी की फायरब्रांड नेता उमा भारती भी इस सीट से सांसद रह चुकी हैं, अहम बात यह है कि यह बुंदेलखंड अंचल की ऐसी पहली सीट हैं जहां से उमा भारती के रूप में सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी चुनाव जीतकर संसद पहुंची हैं. बीजेपी और कांग्रेस यहां अक्सर बाहरी प्रत्याशियों पर दांव लगाती है, ऐसे में स्थानीय प्रत्याशी इस सीट से कम ही चुनाव जीते हैं, जिसकी एक वजह इसकी क्षेत्रीय स्थिति भी मानी जाती है.
खजुराहो लोकसभा का सियासी इतिहास
बात अगर खजुराहो लोकसभा सीट के सियासी इतिहास की जाए तो यह सीट देश के दूसरे आम चुनाव के दौरान अस्तित्व में आई थी. 1957 में पहली बार खुजराहो लोकसभा सीट पर चुनाव हुए थे, तब छतरपुर और टीकमगढ़ जिले की विधानसभा सीटों को मिलाकर खुजराहो लोकसभा क्षेत्र को बनाया गया था. 1957 में कांग्रेस के पंडित रामसहाय यहां से सांसद चुने गए जो खजुराहो के पहले लोकसभा सांसद भी माने जाते हैं. 1962 में वह दोबारा सांसद चुने गए. 1967 और 1971 में सीट नहीं रही. लेकिन 1977 से यह सीट फिर से अस्तित्व में आ गई. जहां 1977 के चुनावों में यहां लोकदल के लक्ष्मीनारायण नायक ने जीत हासिल की थी. 1980 और 1984 के चुनावों मे कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी यहां से सांसद चुनी गईं थी.
1989 में भाजपा की हुई एंट्री
1989 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार खजुराहों में एंट्री की. तब भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने यहां से जोरदार जीत हासिल की थी. उमा भारती 1991, 1996, 1998 तक यहां से सांसद चुनी गई. लेकिन 1999 में कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने पार्टी की वापसी करा दी. लेकिन 2004 में बीजेपी की फिर वापसी हुई और तब से लेकर अब तक बीजेपी यहां से लगातार चुनाव जीत रही है.
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अब तक 14 आम चुनाव हो चुके हैं
लेकिन 1989 में खजुराहो लोकसभा सीट से उमा भारती ने जीत हासिल की. इसके बाद 1990 में कांग्रेस ने फिर वापसी की, लेकिनने 2004 के चुनाव में फिर भाजपा ने वापसी की और तब से लेकर अब तक इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है. अब तक इस सीट पर 14 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 8 बार बीजेपी को विजयश्री मिली है, इसके अलावा एक चुनाव लोकदल पार्टी ने जीता है.
खजुराहो में तीन जिलें की 8 विधानसभा सीटें आती हैं
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें पन्ना जिले की पन्ना, पवई और गुन्नौर शामिल हैं, इसके अलावा कटनी जिले की मुड़वारा, बहोरीबंद और विजयराघवगढ़ शामिल हैं, जबकि छतरपुर जिले की चांदला और राजनगर विधानसभा सीटें भी खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. विधानसभा चुनाव 2023 में इन आठ सीटों में से बीजेपी को आठों पर ही जीत मिली है, जबकि कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुल पाया. ऐसे में विधानसभा के नतीजों के हिसाब से यहां कांग्रेस बढ़त बनाती नजर आ रही है.
खजुराहो सीट का सामाजिक समीकरण
खजुराहो लोकसभा सीट तीन-तीन जिलों से मिलकर बनी है, ऐसे में यहां के अलग-अलग तरह का सामाजिक समीकरण सामने आता है. क्योंकि यह क्षेत्र बुंदेलखंड से लेकर महाकौशल तक फैला हुआ है. हालांकि इस सीट पर ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता प्रभावी भूमिका निभाते हैं, जबकि ओबीसी वर्ग भी बहुसंख्यक हैं, जिसमें सबसे अहम कुर्मी मतदाता माने जाते हैं, इसी तरह एससी वर्ग का भी प्रभाव देखने को मिलता है. जातिगत समीकरणों के आधार पर बीजेपी और कांग्रेस ब्राह्मण और ठाकुर प्रत्याशी पर ही ज्यादा दांव लगाते हैं.
बाहरी प्रत्याशियों पर लगाते हैं दांव
खजुराहो लोकसभा सीट की खास बात यह है कि यहां बीजेपी और कांग्रेस अक्सर बाहरी प्रत्याशियों पर ही दांव लगाते हैं, उमा भारती चार बार इस सीट से सांसद रही, जबकि वह मूलरूप से टीकमगढ़ जिले की रहने वाली थी. हालांकि यहां से चुनाव जीतकर उमा भारती अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रही है, इसी तरह से 2014 का चुनाव जीतने वाले बीजेपी का नागेंद्र सिंह भी मूल रूप से सतना जिले से आते हैं, जबकि यहां के वर्तमान सांसद वीडी शर्मा भी चंबल अंचल से आते हैं, लेकिन बीजेपी का बाहरी प्रत्याशियों पर दांव लगाने का प्लान सफल रहा है. ऐसे में यहां स्थानीय प्रत्याशी की मांग भी उठती रही है.
खजुराहो क्षेत्र के प्रमुख कारण
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र की 81.78 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है, जबकि 18.22 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. बात अगर खजुराहो लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं की जाए तो बुंदेलखंड और महाकौशल के बीच में फैले इस क्षेत्र में जल संकट सबसे बड़ा कारण है, हालांकि केन बेतवा लिंक परियोजना के चलते इस समस्या के सामाधान की बात राजनीतिक दल करते नजर आते हैं. बाकि की समस्याएं बुंदेलखंड के दूसरे क्षेत्रों की तरह हैं, जिसमें सबसे बड़ा रोजगार की कमी, स्वास्थ्य और पलायन हैं. बुंदेलखंड अंचल में पलायन एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई हैं. ऐसे में स्थानीय लोग हर चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर अपनी बात करते नजर आते हैं.
2019 में बीजेपी के वीडी शर्मा को मिली थी जीत
खजुराहो लोकसभा सीट पर 2019 में बीजेपी ने वीडी शर्मा को उतारा था, जबकि कांग्रेस ने कविता सिंह को चुनाव लड़वाया था. जहां चुनाव में वीडी शर्मा को 8 लाख 11 हजार 135 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 3 लाख 18 हजार 753 वोट मिले थे. जहां वीडी शर्मा ने करीब 5 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. इसी तरह बात अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की जाए तो बीजेपी प्रत्याशी नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी राजा पटेरिया को 2,47,490 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी. 2014 में नागेंद्र सिंह को 4,74,966 वोट मिले थे, जबकि राजा पटेरिया को 2,27,476 वोट मिले थे.
वीडी शर्मा को फिर मिल सकता है मौका
खजुराहो से लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले बीजेपी के वीडी शर्मा फिलहाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं, उनके नेतृत्व में पार्टी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है. जबकि नगरीय निकाय चुनाव में भी बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, ऐसे में भाजपा उन्हें फिर से इस सीट से चुनाव लड़ा सकती है, जबकि कांग्रेस की तरफ से भी कोई नया चेहरा सामने आ सकता है, जिसमें विधानसभा चुनाव हारने वाले नेता कांग्रेस नेता विक्रम सिंह नातीराजा का नाम भी सामने आ रहा है.
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