Lok Sabha Elections: 'जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कब क्या हो किसने जाना' यह गाना जिंदगी के साथ-साथ राजनीति पर भी खूब सटीक बैठता है, क्योंकि राजनीति में भी कुछ ऐसा ही होता है, क्योंकि सियासत में अक्सर जो दिखता है वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है. मध्य प्रदेश की राजनीति में भी इन दिनों ऐसा ही हो रहा है. बीजेपी ने अब तक विशेष भर्ती अभियान के तहत अब तक कई नेताओं को पार्टी में लिया है. कुछ नेता तो ऐसे थे जिन्हें कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव देने का मन पूरा मन बना चुकी थी, सर्वे में भी उनके नाम सबसे आगे थे. लेकिन कांग्रेस इन नेताओं को लोकसभा का टिकट देती उससे पहले ही बीजेपी इन नेताओं को ले उड़ी, जिससे कई सीटों पर पूरे समीकरण ही बदल गए. 


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कांग्रेस देने वाली थी टिकट, BJP ने किया खेल 


दरअसल, मध्य प्रदेश में अब तक सुरेश पचौरी, संजय शुक्ला, अरुणोदय चौबे, शशांक भार्गव  जैसे कांग्रेस के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से इन नेताओं का नाम दावेदारों में शामिल था. क्योंकि यह नेता अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में सबसे आगे नजर आ रहे थे. लेकिन टिकट की घोषणा होती उससे पहले ही यह बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके बाद पूरे समीकरण ही बदल गए. 


इंदौर से दावेदार थे संजय शुक्ला 


इंदौर-1 विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रह चुके संजय शुक्ला 2023 के विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय से हार गए थे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि संजय शुक्ला को कांग्रेस इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा सकती है, कई सर्वे में भी उनका नाम सामने आया था. संजय शुक्ला की इंदौर में अच्छी राजनीतिक पृष्ठभूमि मानी जाती है, जबकि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए सभी संसाधन भी थे. जिससे कांग्रेस की तरफ से उनका टिकट तय माना जा रहा था. लेकिन उनके नाम की घोषणा होती उससे पहले ही संजय शुक्ला बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे इंदौर सीट पर कांग्रेस के लिए समीकरण जरूर बदले, बाद में कांग्रेस ने यहां से अक्षय कांतिबम को टिकट दिया है. 


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सागर में अन्नू चौबे का नाम था सबसे आगे 


इंदौर जैसा ही मामला बुंदेलखंड अंचल की सागर लोकसभा सीट पर भी देखने को मिला. सागर लोकसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे थे. रेस में उनका नाम सबसे आगे चल रहा था. अरुणोदय चौबे की गिनती कमलनाथ के करीबी नेताओं में होती थी, ऐसे में राजनीतिक जानकार भी यह मानकर चल रहे थे कि कांग्रेस इस बार उन्हें सागर से चुनाव में उतारेगी. लेकिन कांग्रेस अरुणोदय चौबे को टिकट देती उससे पहले ही वह भी बीजेपी में शामिल हो गए. 


भार्गव ने भी कांग्रेस को दिया झटका 


विदिशा लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस के साथ खेल हो गया. विदिशा के पूर्व विधायक शशांक भार्गव भी मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि कांग्रेस की तरफ से उनका नाम विदिशा लोकसभा सीट से दावेदारों में सबसे ऊपर चल रहा था. लेकिन शशांक भार्गव ने पहले ही कांग्रेस छोड़ दी. खास बात यह है कि वह एक दम से बीजेपी में शामिल हुए हैं, ऐसे में अब कांग्रेस को विदिशा सीट पर नए सिरे से उम्मीदवार की तलाश करनी होगी. विदिशा सीट पर अब तक कांग्रेस ने टिकट का ऐलान नहीं किया है. 


भोपाल-होशंगाबाद से दावेदार थे पचौरी 


वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता सुरेश पचौरी भी 9 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए थे. जबकि उनका नाम भी इस बार कांग्रेस की तरफ से होशंगाबाद और भोपाल लोकसभा सीट पर आगे चल रहा था. क्योंकि दोनों सीटों पर पचौरी का होल्ड माना जाता है, ऐसे में यहां उनके जाने से भी समीकरण नए सिरे से बने हैं. भोपाल में कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव और होशंगाबाद में पूर्व विधायक संजय शर्मा को टिकट दिया है. खास बात यह है कि संजय शुक्ला और शशांक भार्गव को बीजेपी में लाने में सुरेश पचौरी की ही भूमिका रही है. 


दरअसल, इन नेताओं के आने से कही न कही उनके प्रभाव वाली सीटों पर समीकरण जरूर बदले हैं. बता दें कि कांग्रेस ने अब तक 22 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जबकि बीजेपी ने सभी 29 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. 


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