भोपालः मध्य प्रदेश सरकार की नई व्यवस्था से राज्य के निकाय कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. निकाय कर्मचारी वो होते हैं, जो चुनाव संपन्न करवाते है. दरअसल, राज्य शासन निकाय कर्मचारियों को सैलरी भुगतान के लिए क्षति पूर्ति की राशि देता है. अर्थात शासन, चुनाव के दौरान काम करने वाले इन कर्मचारियों को अलग से भत्ता प्रदान करता है.  


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अब राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति राशि में कटौती का फैसला लिया है. सैलरी में कटौती होने से कर्मचारियों को इस बार की दिवाली में परेशानी उठानी पड़ सकती है.


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324 करोड़ की बजाय 220 करोड़ दिए जा रहे
दरअसल, कोरोना संकट काल की वजह शासन ने सभी कर्मचारियों के डीए और महंगाई भत्ते पर भी रोक लगा दी थी. इसके साथ ही निकाय कर्मचारियों को पिछले 2 से 6 महीनों की सैलरी भी देरी से मिल रही है. जिस वजह से प्रदेश के कुल 410 निकाय कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है. राज्य सरकार हर माह इन कर्मचारियों की सैलरी पर 324 करोड़ रुपये खर्च करता है.


लेकिन पिछले 6 महीनों से इन कर्मचारियों पर 220 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. जिसे देखते हुए लगता है, ये दिवाली इन कर्मचारियों के लिए सैलरी कटौती वाली ही होगी.


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कौन होते है निकाय कर्मचारी?
राज्य शासन को प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर चुनाव संपन्न करवाने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता होती है. इसके लिए शासन के ही कर्मचारियों को काम में लिया जाता है. ये निकाय कर्मचारी भी वही होते हैं, जो प्रदेश में चुनाव संपन्न करवाते हैं. इस बार प्रदेश में 28 सीटों पर उप चुनाव भी हुए है, जिसमें काम करने वाले कर्मचारियों को राज्य शासन अलग से भुगतान भी करता है. इन्हीं कर्मचारियों को सैलरी भुगतान के लिए क्षति पूर्ति की राशि दी जाती है. जिसमें इस बार कटौती का फैसला लिया गया है.  


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