ग्वालियर से ताल ठोक रहा ये 'चायवाला', बीजेपी-कांग्रेस को देगा टक्कर
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ग्वालियर से ताल ठोक रहा ये 'चायवाला', बीजेपी-कांग्रेस को देगा टक्कर

लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व पर यूं तो सियासत के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. ऐसे ही अनोखे रंग ग्वालियर में भी देखने को मिल रहे है.

ग्वालियर से ताल ठोक रहा ये 'चायवाला', बीजेपी-कांग्रेस को देगा टक्कर

शैलेन्द्र सिंह भदौरिया/ग्वालियर: लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व पर यूं तो सियासत के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. ऐसे ही अनोखे रंग ग्वालियर में भी देखने को मिल रहे है. यहां सियासी दिग्गजों के बीच ऐसे लोग भी चुनाव लड़ रहे हैं जिनके पास भले ही मजबूत जनाधार ना हो लेकिन उनके हौंसले बुलंद है. ऐसा ही एक शख्स है आनंद सिंह कुशवाह जो चाय का होटल चलाते हैं लेकिन इस बार वो बीजेपी कांग्रेस के दिग्गजों के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. लोगों को चाय पिलाने वाला ये शख्स है आनंद कुशवाह जो ग्वालियर की समाधिया कालोनी में चाय की दुकान चलाते हैं. किसी जमाने में चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी आज देश के प्रधानमंत्री है.

मोदी की तरह ग्वालियर में भी चाय की दुकान चलाने वाले आनंद कुशवाह भी लोकसभा के समर में उतर रहे हैं. छोटी सी दुकान चलाने वाले आंनद सिंह कुशवाह पहली बार चुनाव नही लड़ रहे हैं. बल्कि इससे पहले वो पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के 25 चुनावों में किस्मत आजमा चुके हैं. आंनद सिंह कुशवाह का 1994 से चुनाव लडने का सिलसिला बीस साल बाद आज भी बदस्तूर जारी है.

आनंद कुशवाह के मुताबिक नरेंद्र मोदी चुनाव जीतने के लिए सिर्फ चाय वाला होने का सहारा लेते रहे हैं. जबकि वो तो असली चाय वाले हैं. आर्थिक रुप से कमजोर आनंद सिंह के पास भले ही पैसा ना हो पर जीत का हौसला जरुर है आनंद सिंह का प्रचार का तरीका भी बेहद आनोखा है.

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वो लोगों को चाय पिलाते हैं और चाय के साथ खुद को वोट देने की अपील भी करते हैं. आनंद सिंह के पास भले ही चुनाव प्रचार के लिए बड़ा कार्यालय या प्रचार सामग्रियां नहीं लेकिन उनके चाहने वाले लोग उनका प्रचार करने में पीछे नहीं रहते हैं. आनंद सिंह कुशवाह का हौंसला उन लोगो के लिये एक सबक है जो थोड़ी सी परेशानिय़ां से हार जाते हैं.

आनंद सिंह कुशवाह का चुनाव लडने का जूनून इस बात को साबित करता है कि नेता बनने के लिये सिर्फ पैसा, सिफारिस या बड़ी पार्टी का कार्यकर्ता होना जरुरी नही है. आनंद सिंह गुरूवार की दोपहर को अपनी पत्नी जिला निर्वाचन अधिकारी दफ्तर पहुंचे और अपना नामांकन दाखिल किया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर चुनाव मे जनता का बहुत सहयोग मिलता रहा है ,उम्मीद है  भी उन्हें सहयोग मिलेगा.

एक बार जब ग्वालियर महापौर महिला के लिए आरक्षित हुआ तो आनंद सिंह की पत्नी मैदान में उतर चुकी है. चुनाव के दौरान आनंद सिंह लोगो का ध्यान अपनी ओर खींचते है.  

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