Indian Army Day 2023: आज यानी 15 जनवरी के रोज हर साल देश थल सेना दिवस या आर्मी डे (thal sena diwas) मनाता है. इस दिन को सेना के सौर्य के रूप में जवान और आम नागरिक सेलीब्रेट करते हैं. इस मौके पर हम आपको मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उन 7 सेंटरों के बारे में बता रहे हैं, जहां से आर्मी को ताकत मिलती है. इन्हें हमारी सेना का पावर सेंटर भी कहा जा सकता है.
अंग्रेजी शासन काल में भारतीय सेना की आधिकारिक तौर पर 1 अप्रैल 1895 को स्थापना हुई थी. आजादी के बाद भारत को अपना पहला सेना प्रमुख 1949 में मिला था. आज के ही रोज यानी 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा ने अंतिम ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ का पदभार संभाला था. इसी के बाद से देश हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको मध्य प्रदेश के उन 7 संस्थानों के बारे में बता रहे हैं, जहां से आर्मी को ताकत मिलती है. जानिए कौन से हैं वो 7 संस्थान..
महार रेजीमेंट सेंटर, सागर (Mahar Regimental Centre, Sagar):- महार रेजिमेंट, 1 अक्टूबर, 1941 को अपनी स्थापना के बाद से, अद्वितीय गौरव और सम्मान के साथ लड़ी है, कई युद्धक्षेत्रों में विजयी हुई है और स्वतंत्रता के बाद नौ युद्ध सम्मान और 12 थिएटर सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसका हेडक्वाटर मध्य प्रदेश के सागर में स्थित है.
संगीत का सैन्य विद्यालय, पचमढ़ी (Military School of Music, Pachmarhi):- 70 साल पुराना यह म्यूजिक स्कूल एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मिलिट्री म्यूजिक स्कूल है. यहां यहां संगीत के साथ फायरिंग की भी ट्रेनिंग दी जाती है. भारत के अलावा यहां 14 देशों की सेनाओं का प्रशीक्षण होता है.
सेना शिक्षा कोर प्रशिक्षण महाविद्यालय और केंद्र, पचमढ़ी (Army Education Corps Training College and Centre, Pachmarhi):- भारतीय सेना की यह गौरवमयी शाखा संस्था सेना शिक्षा कोर प्रशिक्षण महाविद्यालय पचमढ़ी की स्थापना जून 1921 में हुई थी. इसे साल 1939 से पचमढ़ी में ट्रांसफर किया गया. यहां सेना के जवानों को कोर प्रशीक्षण दिया जाता है.
सामग्री प्रबंधन कॉलेज, जबलपुर (Materials Management College, Jabalpur):- सामग्री प्रबंधन कॉलेज, जबलपुर भारतीय सेना का महत्यपूर्ण अंग है. यानी जवानों के प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाती है. यहां छात्र बनकर आया युवक सेना में मैनेजमेंट संभालता है.
दूरसंचार इंजीनियरिंग सैन्य कॉलेज, महू (Military College of Telecom Engineering, Mhow):- भारतीय सेना उभरते हुए प्रौद्योगिकी डोमेन के क्षेत्र में स्थिर और महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है. इसमें दूरसंचार इंजीनियरिंग सैन्य कॉलेज, महू का काफी योगदान है. यहां कई तरह के रिसर्च और जवानों को शिक्षा दी जाती है, जो सेना के काम आती है.
इन्फैंट्री स्कूल, महू (Infantry School, Mhow):- देश में कई आर्मी स्कूल या इन्फैंट्री स्कूल स्कूल संचालित हैं. इनमें से एक है इन्फैंट्री स्कूल, महू. जहां युवाओं को आर्मी के लिए ट्रेंड किया जाता है.
सेना युद्ध महाविद्यालय, महू (Army War College, Mhow):- ब्रिटिश सेना ने फरवरी 1818 में पहली बार मालवा की धरती में प्रवेश किया। सेना को ठहराने के लिए एक जगह की तलाश थी. सेना का एक अधिकारी इंदौर से पैदल चलते हुए यहां पहुंचा तो उसे नदी, पहाड़ों से घिरा ये स्थान सेना के लिए बेहतर लगा. इसके बाद उन्होंने यहां जवानों को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. आजादी के बाज यहां सेना युद्ध महाविद्यालय बनाया गया जो भारतीय सेना के जवानों को तैयार करता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़