पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति की मांग पर कर्मचारी संगठनों का मोर्चा, बढ़ सकती है टेंशन
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पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति की मांग पर कर्मचारी संगठनों का मोर्चा, बढ़ सकती है टेंशन

मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग पर कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों की ये मांग सरकार की टेंशन बढ़ा सकती है. याद हो राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने के बाद मध्य प्रदेश में भी कर्मचारी ने ये मांग उठाई थी.

पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति की मांग पर कर्मचारी संगठनों का मोर्चा, बढ़ सकती है टेंशन

भोपाल: मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग पर कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों की ये मांग सरकार की टेंशन बढ़ा सकती है. याद हो राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने के बाद मध्य प्रदेश में भी कर्मचारी ने ये मांग उठाई थी. मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस का भी साथ मिल रहा है. आज प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति सहित अन्य मांगो को लेकर कर्मचारी संगठनों ने मोर्चा खोला हुआ है.

कलेक्टरों को सीएम के नाम ज्ञापन
आज 60 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी संगठन प्रदेश भर में कलेक्टरों को सीएम के नाम ज्ञापन सौपेंगे. उनका कहना है कि बजट सत्र में निर्णय नहीं हुआ तो कर्मचारी संगठन आन्दोलन करेंगे. पुरानी पेंशन बहाली, इंक्रीमेंट और एरियर की किश्त,महंगाई भत्ता ,पदोन्नति समेत अन्य मांगो को लेकर आज ज्ञापन सौंपा जाएगा. इस दौरान मप्र अधिकारी- कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के साथ सभी संगठन मौजूद रहेंगे. 

13 मार्च को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन
इससे पहले बताया गया था कि कर्मचारी 13 मार्च को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं. मांग है कि 1 जनवरी 2005 और इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो. दलील है कि नई पेंशन स्कीम सही नहीं है,जिसके चलते रिटायरमेंट के बाद कई कर्मचारियों को 800 से डेढ़ हजार रुपए महीना ही पेंशन के रूप में मिल रही है. बता दें 1 जनवरी 2005 के बाद विभागों में नियुक्त हुए कर्मचारियों के लिए सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था बंद कर दी है. इसके बाद नई पेंशन स्कीम लागू हो गई थी, जिसका विरोध किया जा रहा है. 

ये है नई पेंशन नीति
1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती हुए अधिकारी और कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू की गई थी. इसके तहत कर्मचारियों की 10% और इतनी ही राशि सरकार भी मिलाती है. इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है. मतलब ये कि कर्मचारियों का भविष्य शेयर मार्केट पर निर्भर है. रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को 60% राशि कैश और बाकी 40% राशि पर ब्याज से मिली राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को दी जाती है.

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