सत्य प्रकाश/रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2023 विधानसभा चुनाव( 2023 Assembly Elections) को कुछ ही महीने बचे हुए हैं. ऐसे में सभी पार्टी के नेता प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी बेहद तेजी से प्रत्याशी चयन की कवायद कर रही है. इसके लिए कांग्रेस में जहां 4 तो भाजपा में 5 सर्वे कराए जा रहे हैं. खबर है कि कांग्रेस में पीसीसी, एआईसीसी, सरकार और राष्ट्रीय अध्यक्ष की टीम अलग-अलग सर्वे कर रही है और जिताऊ कैंडिडेट खोज रही है. वहीं चर्चा ये है कि भाजपा में राष्ट्रीय संगठन, प्रदेश संगठन, केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी, गृहमंत्री अमित शाह की गुजरात से आई टीम और संघ स्तर पर गुप्त सर्वे कर चुनाव जीतने वाले कैंडिडेट को तलाशा जा रहा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सर्वे ने बढ़ाई विधायकों की टेंशन
इन सर्वे ने कई मौजूदा विधायकों की टेंशन भीतर-ही-भीतर बढ़ा दी है. चर्चा है कि सर्वे में कई विधायकों का परफॉर्मेंस कमजोर है. जाहिर सी बात है प्रदेश में कांग्रेस के ज्यादा विधायक हैं तो परफॉर्मेंस भी वहीं ज्यादा लोगों की खराब है और टिकट भी वहीं ज्यादा बदले जाएंगे. साल 2018 में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने 8 विधायकों के टिकट काटे थे. वहीं सत्ता में रहते हुए भाजपा ने 15 विधायकों के टिकट काटे थे. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के विधायक जनता की कसौटी पर फेल हैं वहीं कांग्रेस कह रही है कि भाजपा अपना घर देखे. जिताऊ कैंडिडेट को पार्टी टिकट देगी.


22 जून को अमित शाह दुर्ग आएंगे
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर  गृहमंत्री  अमित शाह 22 जून को छत्तीसगढ़ के दुर्ग आएंगे. यहां वो बड़ी जन सभा को संबोधित करेंगे. दुर्ग दौरे को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई है. खबर है कि दुर्ग में कार्यक्रम के दौरान भाजपा भीड़ जुटाने की पूरी कोशिश में लगी हुई है. दुर्ग संभाग प्रभारी भूपेंद्र सवन्नी ने कहा कि, देश के गृह मंत्री अमित शाह की बैठक को सफल बनाने के लिए निर्धारित रूपरेखा के अनुरूप हम सभी को इसमें एक साथ जुटना होगा. 


यह भी पढ़ें: Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में बीजेपी की B टीम! मुख्यमंत्री ने लगाया आरोप तो मिला ये जवाब


 


अक्टूबर में हो सकता है छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की घोषणा
बता दें कि अक्टूबर महीने में राज्य चुनाव की घोषणा हो सकती है. इसके बाद नवंबर और दिसंबर महीने तक चुनाव पूरा कर लिया जाएगा. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस किसी से भी पीछे नहीं रहना चाहती है. दोनों पार्टी जोर-शोर से प्रचार में जुटी हुई है.