भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने सीएम को लिखे पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश की नई आबकारी नीति में महुआ शराब के साथ ही नेपाली आदिवासी समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली नेपाली बीयर को भी शामिल किया जाए.
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प्रमोद शर्मा/भोपालः एक तरफ प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती राज्य में शराबबंदी की मांग कर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने मांग की है कि सरकार की हेरिटेज शराब नीति में नेपाली बीयर को भी शामिल किया जाए. इसके लिए भाजपा सांसद ने बकायदा सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है.
क्या लिखा पत्र में
इंदौर से भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने सीएम को लिखे पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश की नई आबकारी नीति में महुआ शराब के साथ ही नेपाली आदिवासी समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली नेपाली बीयर को भी शामिल किया जाए. दरअसल नेपाली संस्कृति परिषद ने यह मांग की है.परिषद के राष्ट्रीय सचिव शैलेष गुरुंग ने सांसद से मिलकर इस संबंध में ज्ञापन दिया था. जिसके बाद भाजपा सांसद ने इस मांग को सीएम तक पहुंचाया है.
सरकार अगर नेपाली बीयर को भी नई आबकारी नीति के तहत हेरिटेज शराब नीति में शामिल करती है तो इससे नेपाली मूल के लोगों को इसके विधिवत उत्पादन और बिक्री का अधिकार मिल जाएगा. इससे समाज के लोगों के लिए रोजगार के मौके बढ़ेंगे.
कैसी होती है नेपाली बीयर
नेपाली बीयर धुंधले रंग की कम अल्कोहल वाली शराब है. नेपाली लोग इस बीयर को अपने घर आने वाले मेहमानों को परोसते हैं. यह बीयर चावल से बनाई जाती है, जिसमें जड़ी-बूटियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. उल्लेखनीय है कि राज्य में नेपाली मूल के लोगों की संख्या करीब साढ़े चार लाख है. गुरु पूर्णिमा, दीपावली, दशहरा और होली पर बड़ी संख्या में नेपाली मूल के लोग नेपाली बीयर तैयार करते हैं.
क्या है हेरिटेज शराब नीति
बता दें कि सरकार की हेरिटेज शराब नीति के तहत महुए से बनी शराब की बिक्री और लाइसेंस आदिवासियों को ही दिया जा सकेगा. साथ ही आदिवासी गांवों में मांग के अनुरूप 1000 लीटर उत्पादन क्षमता वाली माइक्रो डिस्टलरी यूनिट स्थापित की जा सकेगी. सरकार आदिवासी इलाकों में अलग वाइन शॉप खोलेगी. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में बसने वाला नेपाली समुदाय भी ऐसी ही सुविधाएं चाहता है और उसी के चलते समुदाय के लोगों ने यह मांग की है. इस हेरिटेज शराब का उत्पादन सिर्फ आदिवासी इलाकों में होता है लेकिन इसकी बिक्री प्रदेशभर में होगी.