MP News: खाद वितरण और कालाबाजारी पर CM मोहन की पैनी नजर, किसानों को मिलेगा लाभ
MP News: CM डॉ. मोहन यादव एक्शन मोड में आ गए हैं. उन्होंने कृषि आदान की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने किसानों के हित को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए. उन्होंने खरीफ फसल के लिए खाद वितरण और कालाबाजारी को लेकर निर्देश दिए हैं.
CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश में चार चरणों के लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद CM डॉ. मोहन यादव एक्शन मोड में आ गए हैं. उन्होंने किसानों को लेकर कृषि आदान की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को खरीफ फसल के लिए खाद वितरण के निर्देश दिए.साथ ही खाद की कालाबाजारी को लेकर भी सख्त निर्देश दिए.
CM मोहन यादव ने की समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कृषि आदान की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि खरीफ फसल के लिए राज्य के सभी जगहों पर पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हो. उन्होंने अधिकारियों को खाद की कालाबाजरी के लिए सख्त निर्देश देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी कालाबाजारी की संभावना निर्मित न हो.
किसानों को सम्मानित किया जाए
इस बैठक के दौरान CM मोहन यादव ने कहा कि फसल उपार्जन में अच्छी गुणवत्ता की पैदावार लाने वाले किसानों को सम्मानित-पुरस्कृत किया जाए. पर्याप्त खाद उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार लगातार केंद्र सरकार से संपर्क में है.
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मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश में खाद की मांग और अब तक प्राप्त मात्रा तथा वितरण व्यवस्था की भी जानकारी ली. उन्होंने प्राकृतिक खाद और मिलेट को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं. CM मोहन ने कहा- भूमि की उर्वरकता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करना जरूरी है. बैठक में धान, कोदो, कुटकी, मक्का, ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, कपास के बीज की उपलब्धता की भी जानकारी ली. बता दें कि हाल ही में कपास के बीज को लेकर कई जिलों में लंबी कतारें लगी थीं.
किसानों को प्रेरित किया जाएगा
CM मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खाद के उपयोग को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए. साथ ही बॉयो फर्टिलाइजर का उपयोग करने वाले किसानों की मदद के लिए व्यवस्था विकसित की जाए. इससे किसान ऑर्गेनिक उत्पाद लेने के लिए आगे आएंगे. पशुपालन-कम्पोस्टिंग को समंवित करने के लिए श्रीअन्न की उपज लेने के लिए भी किसानों को प्रेरित करने की जरूरत है. इससे फसल चक्र को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलेगी और भूमि की उर्वरकता भी लंबे समय तक बनी रहेगी.
इनपुट- भोपाल से आकाश द्विवेदी की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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