इंदौर हाईकोर्ट ने हुकुमचंद मिल मजदूरों को 32 साल और 1600 सुनवाई के बाद आखिरकार न्याय दे दिया है. नगर निगम की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखकर 15 जनवरी 2024 तक हुकुमचंद मिल मजदूरों के खाते में पैसा ट्रांसफर करवाने की बात कही है.
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Indore Hukumchand mill: इंदौर हाईकोर्ट ने हुकुमचंद मिल मजदूरों को 32 साल और 1600 सुनवाई के बाद आखिरकार न्याय दे दिया है. नगर निगम की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखकर 15 जनवरी 2024 तक हुकुमचंद मिल मजदूरों के खाते में पैसा ट्रांसफर करवाने की बात कही है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने नगर निगम को पैसा ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए हैं. वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मजदूरों के हित में बड़ा फैसला करते हुए 464 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. जिसे मजदूरों को बकाया राशि के तौर पर दी जाएगी.
सीएम मोहन ने लिया था फैसला
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद मोहन यादव ने सबसे पहले हुकुमचंद मिल मजदूरों की बकाया राशि का फैसला ही लिया था. सीएम मोहन यादव ने 464 करोड़ की राशि मजदूरों को देने के लिए स्वीकृत की थी. जो मजदूरों को हित में प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला माना गया था.
हुकुमचंद मिल इंदौर के मजदूरों के हित में मध्यप्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मिल के मजदूरों को मिलने वाली ₹464 करोड़ की बकाया राशि से संबंधित फाइल पर हस्ताक्षर कर अपनी स्वीकृति प्रदान की।@DrMohanYadav51 pic.twitter.com/GfYnzHB9lr
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 19, 2023
वकीलों की फीस की चर्चा
बता दें कि इस पूरे मामले में मजदूर यूनियन की ओर से मजदूरों की हक की लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गिरिश पटवर्धन और धीरजसिंह पंवार को मामले की पैरवी करने के लिए अच्छी खासी फीस दी गई है. दोनों वकीलों को 6.54 करोड़ रुपये मिलेंगे. जिसकी चर्चा भी खूब हो रही है.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल 12 दिसंबर 1991 को हुकुमचंद मिल प्रबंधन ने बगैर किसी सूचना के मिल को बंद कर दिया था. इसके बाद से ही मजदूर ग्रेच्युटी, तनख्वाह और अन्य लेनदारियों के लिए संघर्ष कर रहे थे. जिस वक्त ये मिल बंद हुई उस वक्त उसमें 5895 मजदूर काम करते थे. बता दें कि साल 2007 में हाईकोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया था. मजदूरों को यह राशि मिल की जमीन बेचकर दी जाना थी, लेकिन जमीन बिक नहीं पाई थी. अब लंबे संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मजदूरों को भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है, जो की 2500 परिवारों को यह राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से खातों में डाली जाएगी.