भोपालः मध्य प्रदेश की सियासत में आज नई तस्वीर देखने को मिली, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दो ऐसे नेता जिनके बीच वर्चस्व की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है, सिंधिया जब तक कांग्रेस में थे तो दोनों नेताओं के बीच पर्दे के पीछे ही यह लड़ाई चली, लेकिन सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद यह लड़ाई अब खुलकर होने लगी है. गुना जिला सिंधिया और दिग्विजय सिंह की राजनीति का केंद्र है, ऐसे में दोनों नेता एक दूसरे के क्षेत्र में जाने से बचते थे, लेकिन आज पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया राघोगढ़ पहुंचे और सभा को संबोधित किया, इस दौरान उन्होंने दिग्विजय सिंह के करीबी हीरेन्द्र सिंह को बीजेपी में शामिल कराया. सिंधिया का राघोगढ़ में जाना राजनीति के एक नए अध्याय की शुरूआत माना जा रहा है. 


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दिग्गी के करीबी को बीजेपी में लाए सिंधिया 
दरअसल, राघोगढ़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व कांग्रेस विधायक मूल सिंह दादाभाई के बेटे हीरेन्द्र सिंह को बीजेपी में शामिल कराया, बताया जा रहा है कि इसकी तैयारी बहुत पहले से चल रही थी, जिसे सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बीजेपी का दावा है कि हीरेन्द्र सिंह ने अपने हजारों समर्थकों के साथ बीजेपी ज्वाइन की है, जिसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका भी माना जा रहा है. 



बिना नाम लिए दिग्विजय और जयवर्धन पर साधा निशाना 
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बिना नाम लिए दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह पर निशाना भी साधा, सिंधिया ने कहा कि कुछ लोगों का काम हर अवसर में चुनौती ढूंढना है, जबकि बीजेपी का काम चुनौतियों में अवसर ढूंढना है. बीजेपी केवल विकास पर विश्वास रखती है. उन्होंने राजघराने पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस तो नामदारों की पार्टी रह गई है और बीजेपी कामदारों की पार्टी है. सिंधिया ने कहा कि उन्हें केवल विकास और जनता से मोह है. 


बार-बार आऊंगा राघोगढ़ः सिंधिया 
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस दौरान अपने कभी राघोगढ़ न आने का कारण भी बताया, उन्होंने कहा कि वह पहले संकोच के चलते राघोगढ़ नहीं आते थे. लेकिन अब वह बार-बार राघोगढ़ आएंगे. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार किसी राघोगढ़ में कोई सभा की है, इससे पहले वह कभी किसी सभा में शामिल होने के लिए राघोगढ़ नहीं, सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब आखिरी बार 2018 में जयवर्धन सिंह के बुलावे पर राघोगढ़ के महल पहुंचे थे. 


बीजेपी के लिए सिंधिया ने चला बड़ा दाव
दरअसल, हीरेंद्र सिंह का बीजेपी में शामिल होना सिंधिया का बड़ा दाव माना जा रहा है, क्योंकि हीरेंद्र के पिता मूल सिंह दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. हीरेंद्र सिंह भी दिग्विजय परिवार के खास थे. मूल सिंह दो बार राघोगढ़ से विधायक रहे हैं लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने राघोगढ़ से चुनाव लड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, माना गया कि उसके बाद से ही हीरेंद्र सिंह और दिग्विजय परिवार के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो गईं थी. ऐसे में हीरेंद्र सिंह का बीजेपी में शामिल होना एक नई राजनीति की शुरूआत, क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनाव में अब सबकी नजरें टिक गई है, माना जा रहा है कि सिंधिया उन्हें जिस तरह से बीजेपी में लाए हैं उसी तरह से उन्हें विधानसभा चुनाव भी लड़ा सकते है.   


दरअसल, बीजेपी में शामिल होने के बाद दोनों राजनीतिक घरानों की लड़ाई अब खुलकर सामने आने लगी है, 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह ने सिंधिया के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर प्रचार किया था. ऐसे में अब सिंधिया भी दिग्गी के गढ़ में खुलकर प्रचार करने लगे हैं. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि आने वाले समय में दोनों की सियासी अदावत और देखने को मिलेगी. 


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