भारत में अब फिर दिखेंगे चीते, नामीबिया से एमपी के इस नेशनल पार्क में लाए जाएंगे
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भारत में अब फिर दिखेंगे चीते, नामीबिया से एमपी के इस नेशनल पार्क में लाए जाएंगे

मध्य प्रदेश में जल्द ही चीतों की दहाड़ भी सुनाई देगी, प्रदेश में अफ्रीकी देश से चीते लाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर इसके लिए सभी का धन्यवाद जताया है. 

भारत में अब फिर दिखेंगे चीते, नामीबिया से एमपी के इस नेशनल पार्क में लाए जाएंगे

भोपाल। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहा जाता है, लेकिन अब प्रदेश में चीतों की भी दहाड़ सुनाई देगी. क्योंकि प्रदेश में अब चीतों को भी लाया जा रहा है. अफ्रीकी देश नामीबिया मध्य प्रदेश को चीते देगा, जिन्हें श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में बसाने की तैयारियां शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसकी जानकारी दी है. 

नामीबिया देगा भारत को चीते
प्रदेश के अफसरों की एक टीम दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया गई थी, जहां नामीबिया ने भारत को चीते देने के लिए कहा है. बताया जा रहा है कि मार्च-अप्रैल में चीते भारत आ जाएंगे. जिसके बाद कूनो पालपुर अफ्रीकी चीतों के बसने वाला देशभर का पहला स्थान बन जाएगा और यहां चीतों की दहाड़ सुनाई देगी. 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बताया ''मध्यप्रदेश अपने शेरों की दहाड़ के लिए जाना जाता है, अब दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले चीतों के लिए भी पहचाना जायेगा. मुझे खुशी है कि #Namibia से 8 चीते स्वतंत्रता दिवस से पहले प्रदेश की धरती पर दौड़ने लगेंगे. दहाड़ और रफ्तार भी अब होगी प्रदेश की पहचान, बधाई, शुभकामनाएं!''

बता दें कि चीते लाने के लिए मध्य प्रदेश और अफ्रीकी देश नामीबिया के बीच करार हुआ है, जहां विल्पुत हो चुके चीतों की प्रजातियां भी पाई जाती है. नामीबिया मध्य प्रदेश को 8 चीते देगा. इन ससभी चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा. चीतों को लाने की प्रदेश में तैयारियां तेज हो गई हैं, सभी को चार्टेड प्लेन से लाने की तैयारी की जा रही है. सबसे पहले इन चीतों को ग्वालियर लाया जाएगा, इसके बाद सड़क मार्ग से उन्हें  कूनो राष्ट्रीय पार्क ले जाया जाएगा. बताया जा रहा है कि पांच साल तक इनके रखरखाव पर 75 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क करीब 750 वर्ग किलो मीटर में फेला है, यह स्थान चीतों को रहने के लिए अनुकूल है. क्योंकि हर चीते को 10 से 20 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चाहिए होता है. इस हिसाब से  कूनो सबसे अच्छी जगह रहेगी, जबकि यह अभ्यारण्य समतल भी है और जंगल घना है जो अफ्रीकी चीतों के लिए अच्छा रहता है. ऐसे में कूनों में भी चीतों को लाने की तैयारियां शुरू हो गई है. 

देशभर में बनेगी अलग पहचान
बता दें कि लंबी चली कवायद के बाद केंद्र सरकार ने अफ्रीकी चीतों को कूनो पालपुर में बसाने का कार्यक्रम तैयार किया है. केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अफ्रीकी चीतों को भारत लाने की तैयारी कर ली है. उम्मीद है कि अब तीन से चार महीनों में ही कूनो पालपुर में अफ्रीकन चीतों की चहल कदमी सुनाई देगी, जिसके बाद कूनो पालपुर अफ्रीकी चीतों के बसने वाला देशभर का पहला स्थान बन जाएगा.

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