मध्य प्रदेश की इन विधानसभा सीटों पर BJP की मजबूत पकड़, यहां सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार
Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्य प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर बीजेपी दशकों से जमी हुई है, इन सीटों पर कांग्रेस लंबे समय से भाजपा की काट नहीं खोज पाई है.
Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का डंका कभी भी बज सकता है, ऐसे में राजनीतिक दल भी चुनावी समर में उतरने के लिए कमर कसकर तैयार है. मध्य प्रदेश में 2023 में किला बचाने की चुनौती है, ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है. हालांकि सूबे की कुछ विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा ज्यादा चिंता में नहीं होगी, क्योंकि यह सीटें मध्य प्रदेश में बीजेपी का मजबूत किला बन चुकी हैं, जहां दशकों से बीजेपी को जीत मिल रही है.
खास बात यह है कि इन सीटों में किसी सीट पर नेताओं का दबदबा कायम हैं तो किसी सीट पर भाजपा ही ताकत है, यानि बीजेपी जिसे मौका देती है, उसे जीत मिल जाती है. इन सीटों की बदौलत ही बीजेपी मध्य प्रदेश में दमदारी से काबिज हैं. हम आपको इन्हीं सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं.
गोविंदपुरा
राजधानी भोपाल की गोविंदपुरा सीट सिर्फ एमपी में ही नहीं देश में भाजपा की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी पिछले 43 सालों से लगातार जीत रही है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता बाबूलाल गौर इस सीट से लगातार आठ विधानसभा चुनाव जीते थे, जबकि 2018 में उनकी बहू कृष्णा गौर यहां से विधानसभा चुनाव जीती थी. कांग्रेस इस सीट पर अब तक बीजेपी की काट नहीं खोज पाई है.
रहली
सागर जिले की रहली विधानसभा सीट बीजेपी के कद्दावर नेता गोपाल भार्गव की पहचान बन चुकी है. शिवराज सरकार में सीनियर मंत्री गोपाल भार्गव 1985 से लगातार इस सीट से आठ विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, बुंदेलखंड अंचल में यह बीजेपी की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है, जबकि यह कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
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हरसूद
निमाड़ अंचल के खंडवा जिले में आने वाली हरसूद विधानसभा सीट भी बीजेपी का मजबूत किला बन चुकी है, शिवराज सरकार में वन मंत्री और दिग्गज आदिवासी नेता विजय शाह 1990 से लगातार यहां से चुनाव जीत रहे हैं, विजय शाह अब तक हरसूद से 7 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.
इंदौर-4
इंदौर जिले की 'इंदौर-4' विधानसभा सीट भी भाजपा का किला बन चुकी है. 1990 से इस सीट पर बीजेपी लगातार 7 चुनाव जीत चुकी है. 1990 में इस सीट से बीजेपी के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव जीते थे, उसके बाद पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह गौड़ का इस सीट पर 2008 तक दबदबा रहा है, इसके बाद इस सीट पर लक्ष्मण सिंह गौड़ की पत्नी मालिनीग गौड़ विधायक हैं.
सागर
बुंदेलखंड अंचल की सागर विधानसभा सीट भी भाजपा का गढ़ बनती जा रही है. 1993 से 2018 तक बीजेपी यहां से 6 विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं. हालांकि सागर में भाजपा चेहरे बदलते रही हैं, लेकिन पार्टी की जीत का सिलसिला नहीं रूका, 2018 में वर्तमान विधायक शैलेंद्र जैन यहां से लगातार तीसरा चुनाव जीते थे. बुंदेलखंड अंचल में सागर भी बीजेपी की मजबूत सीट मानी जाती है.
इन सीटों के अलावा देवास, खंडवा, मल्हारगढ़, आष्टा, बुधनी, उज्जैन उत्तर, इंदौर-2, जबलपुर कैंट, पनागर, रीवा, शमशाबाद, देवसर, खातेगांव, मंदसौर, नरेला और बीना विधानसभा सीट भी भाजपा की मजबूत सीटें मानी जाती हैं, जहां भाजपा लगातार विधानसभा चुनाव जीत रही हैं. ये सीटें 2018 में भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली हैं.
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