मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने प्रदेश में सिकलसेल (sickle cell) बीमारी को लेकर बड़ा निर्देश दिया है. उन्होंने यह फैसला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया है.
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भोपाल। मध्य प्रदेश में सिकलसेल (sickle cell) बीमारी को लेकर एक बड़ा फैसला हुआ है. राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने एक बड़ा निर्देश दिया है, जिसके तहत सिकलसेल यानि एनीमिया के सर्वेक्षण और जांच का दायरा 40 साल की उम्र तक बढ़ा दिया गया है. अब तक केवल 18 साल के उम्र के लोगों की ही सिकलसेल की जांच होती थी.
राज्यपाल ने दिए निर्देश
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सिकल सेल की जांच का दायरा 40 साल तक की उम्र के लिए बढ़ा दिया है. इसके लिए राजभवन की तरफ से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं, साथ ही राज्य रेडक्रास सोसाइटी को सिकलसेल एनीमिया रोग उपचार एवं प्रबंधन प्रयासों की पहुंच को विस्तारित करने और मजबूत बनाने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है. इसके अलावा छोटी-छोटी बातों का भी गंभीरता के साथ परीक्षण, पर्यवेक्षण करने में सहयोग के लिए निर्देशित किया, ताकि बीमारी की रोकथाम की दिशा में तेजी से काम किया जा सके.
राज्यपाल ने राजभवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राज्य रेडक्रास सोसाइटी और राजभवन के अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी, जिसमें सिकलसेल रोग उपचार एवं प्रबंधन प्रयासों पर चर्चा के दौरान यह निर्देश दिए गए हैं. दरअसल, अब तक एमपी 18 साल तक के युवाओं और गर्भवती महिलाओं की ही सिकसेल की जांच होती है, लेकिन बीमारी की रोकथाम के लिए अब इसकी उम्र का दायरा बढ़ाया है.
बता दें कि राज्यपाल मंगूभाई पटेल सिकल सेल बीमारी को लेकर सख्त है, उन्होंने 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मध्य प्रदेश में राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की थी, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को और तेजी से काम करने की बात भी कही थी. राज्यपाल ने कहा था कि सिकल सेल बीमारी को लेकर युद्ध स्तर पर काम होना चाहिए.
क्या है सिकलसेल बीमारी
सिकल सेल एक बीमारी होती है, जो खून में मौजूद हीमोग्लोबिन को बुरी तरह प्रभावित करती है. इसकी वजह से लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बिगड़ जाता है और इससे लोगों को शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं. इस बीमारी में मरीज को हड्डियों में दर्द, हाथ, पैरों पर सूजन, इन्फेक्शन, आंखों से संबंधित समस्याएं, बच्चों का विकास देरी से होना प्रमुख वजह है. मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में इस बीमारी के कई मरीज है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं.
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