यहां विधवा की तरह सुसराल जाती है दुल्हन! हैरान कर देगी MP के इस गांव की ये परंपरा
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यहां विधवा की तरह सुसराल जाती है दुल्हन! हैरान कर देगी MP के इस गांव की ये परंपरा

दुनियाभर में शादी के अलग-अलग नियम कानून हैं. शादी के मौकों पर दुल्हन सफेद गाउन तो कहीं काले गाउन में खुद को तैयार करती है. वहीं हमारे भारत देश में शादी के दिन दुल्हन लाल जोड़े में ही सजती हैं, हमारी संस्कृति में इसे सुहाग का रंग माना जाता है.

यहां विधवा की तरह सुसराल जाती है दुल्हन! हैरान कर देगी MP के इस गांव की ये परंपरा

Bride Wears White saree: दुनियाभर में शादी के अलग-अलग नियम कानून हैं. शादी के मौकों पर दुल्हन सफेद गाउन तो कहीं काले गाउन में खुद को तैयार करती है. वहीं हमारे भारत देश में शादी के दिन दुल्हन लाल जोड़े में ही सजती हैं, हमारी संस्कृति में इसे सुहाग का रंग माना जाता है. जबकि शादी जैसे मौके पर सफेद रंग पहनना अशुभ माना जाता है.

हालांकि बॉलीवुड के ट्रेंड में आज सभी लोग इतने रंग गए हैं कि शादी में सफेद लहंगा भी पहना जाने लगा है. लेकिन इसी कड़ी में आज हम आपको ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां शादी के बाद दुल्हन विधवा के लिबास (Bride Wears White Dress) में विदा की जाती है. सबसे हैरानी की बात ये है कि इस लिबास को दुल्हन के माता पिता ही पहनाते हैं.

सुर्ख लाल जोड़ा उतरवा देते हैं माता-पिता
बता दें कि मध्यप्रदेश के मंडला जिले के भीमडोंगरी गांव में बेटी की शादी के बाद माता-पिता उसे विधवा के पहनावे में विदाई देते हैं. ये बहुल आदिवासी इलाका है. जिनके जीने का तरीका अलग है. भीमडोंगरी गांव में शादी के बाद लड़की सफेद कपड़ों में विदा होती है तो इस मौके पर सभी लोग सफेद कपड़े ही पहनते हैं

आखिर सफेद ही क्यों?
मध्यप्रदेश के भीमडोगंरी गांव में रहने वाली आदिवासी समाज के लोग गौंड़ी धर्म का पालन करते हैं. इस धर्म के नियम के मुताबिक सफेद रंग शांति का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नए जीवन की शुरुआत सफेद रंग के साथ ही होती है. इसके अलावा एक और अनोखी प्रथा यहां है कि यहां 4 फेरे दुल्हन के घर तो बाकी 3 फेरे दूल्हे के घर पर लिए जाते हैं.

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