Matri Vandana Yojana: भारत में फिर नंबर-1 मध्य प्रदेश, मातृ वंदना योजना में बनाया गजब का रिकॉर्ड
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Matri Vandana Yojana: भारत में फिर नंबर-1 मध्य प्रदेश, मातृ वंदना योजना में बनाया गजब का रिकॉर्ड

Matri Vandana Yojana: देश में हमेशा अव्वल रहने वाला मध्य प्रदेश एक बार फिर शीर्ष में आया है. मातृ वंदना योजना में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर आया है. योजना के तहत यहां 40 लाख मताएं पोषित हुई है.

Matri Vandana Yojana: भारत में फिर नंबर-1 मध्य प्रदेश, मातृ वंदना योजना में बनाया गजब का रिकॉर्ड

Matri Vandana Yojana: भोपाल। देश में रिकॉर्ड बनाने के लिए मशहूर हमारा मध्य प्रदेश एक बार फिर भारतवर्ष में नंबर एक आया है. इस बार ये ख्याति राज्य को माताओं के लिए किए गए काम करे कारण मिल रही है. प्रदेश ने देश में चलाई जा रही मातृ वंदना योजना में उम्दा प्रदर्शन किया है और 40 लाख महिलाओं को पोषण उपलब्ध कराया है. इन्हें लगभग 1600 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है.

मातृ वंदना योजना में अव्वल
- मध्य प्रदेश में 40 लाख माताएं इस योजना में पोषित हुई हैं.
- महिलाओं के पंजीयन के लिए केंद्र से मिले लक्ष्य को पूरा करने पिछले पांच मध्य प्रदेश आगे है.
- इस साल छह लाख दो हजार महिलाओं के पंजीयन हो चुके हैं.
- इस योजना के अंतर्गत देशभर में 3 करोड़ 60 लाख गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत कर 3 करोड़ 21 लाख को लाभ दिया जा चुका है
- इसमें मध्य प्रदेश की 40 लाख महिलाएं शामिल हैं, इन्हें लगभग 1600 करोड़ रुपये की सहायता दी गई.

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क्या होता है योजना में ?
गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक जनवरी 2017 से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना चल रही है. मध्य प्रदेश में इस योजना में खास पहल अपनाई जाती है. इसमें गर्भावस्था और गर्भधारण के साथ-साथ प्रसव और उसके बाद की चीजों को लेकर जागरूकता के लिए अभियान चलाए जाते हैं. योजना में शामिल महिलाओं को अन्य पात्र महिलाओं को जानकारी देने के लिए कहा जाता है.

योजना के प्रावधान
2017 में शुरू हुई योजना को अप्रैल 2022 में संशोधित कर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना 2.0 लाई गई. इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के पोषण का स्तर सुधारना और लड़कियों के जन्म पर प्रोत्साहित करना है. इसमें पहले प्रसव पर पांच हजार रुपये दो किस्तों में और दूसरे प्रसव में बच्ची का जन्म होने पर 6 हजार रुपये एक बार में देने का प्रावधान है. इस योजना में 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक पारिवारिक आय और सरकारी नौकरी वाली महिलाओं के अलावा सभी शामिल हैं. इसमें केंद्र 60 फीसदी और राज्य 40 फीसदी का योगदान देते हैं.

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