Mid Day Meal: मध्य प्रदेश में मध्याह्न भोजन योजना को लेकर शिवराज सरकार के मंत्री सजग हैं. इसका उदहरण इसी बात से देखने को मिला कि प्रदेश के एक मंत्री ने बच्चों के भोजन में लापरवाही पाए जाने पर दूसरे मंत्री से कार्रवाई की मांग को लेकर पत्र लिखा है.
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Mid Day Meal/भोपाल: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही है. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन हितैषी योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा करते हैं. इतना ही नहीं उनके मंत्री भी अपने क्षेत्रों में जाकर चीजों को देखते हैं और कुछ समस्या होने पर संबंधित विभाग या मंत्री उसे लेकर पत्रचार भी करते हैं. ऐसा ही हुआ है मध्यान्ह भोजन योजना को लेकर. जब एक मंत्री ने समस्या मिलने पर संबंधित मंत्री को पत्र लिखकर इसकी सूचना देते हुए कार्रवाई की मांग की है.
मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को पत्र
दरअसल खनिज एवं श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को एक लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र पन्ना जिले के अजयगढ़ ब्लॉक में करीब 100 स्कूलों में 6 महीनों से मध्यान्ह भोजन नहीं बांटा गया. इस संबंध में उन्होंने स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से कार्रवाई की मांग की है. साथ ही ऐसा एक्शन लेने का अनुरोध किया है कि बच्चों के भोजन के साथ कोई गड़बड़ी न कर पाए. हालांकि ये पत्र बृजेंद्र प्रताप सिंह ने 14 सितंबर को लिखा था, जो अभी सामने आया है.
समाधान भी मिला, अब 15 दिन में दुरुस्त हो जाएगी व्यवस्था
मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि स्कूलों में मिड-डे मील के बारे में कलेक्टर से बात की, तो पता चला कि योजना के पोर्टल में कोड गलत फीड हो गया है. इस वजह से दिक्कत हुई है. उन्होंने मामला स्कूल शिक्षा मंत्री जी के संज्ञान में भी लाया. अब कलेक्टर ने बताया है कि कोड को ठीक कर लिया गया है. अगले 15 दिनों में व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी.
कांग्रेस ने कही योजना में गड़बड़ी की बात
मंत्रियों के पत्र की जानकारी सामने आने पर कांग्रेस ने इसे निशाने पर लिया है. भले ही मंत्रियों के बीच ये सामान्य व्यवस्था सुधार के लिए पत्र रहा हो, लेकिन कांग्रेस ने इसे योजना में गड़बड़ी बताया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने पहले ही योजना में गड़बड़ी की बात कही थी. अब सरकार के जिम्मेदार खुद सच्चाई सामने ला रहे हैं. पता नहीं सरकार कब इसकी सच्चाई को स्वीकार करेगी.