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MP Election 2023: रतलाम जिले में पड़ने वाला जावरा विधानसभा क्षेत्र को हुसैन टेकरी की दरगाह के रूप में जाना जाता है. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. हालांकि 2018 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला था. लेकिन इस बार समीकरण बदल रहे हैं, क्योंकि बीजेपी-कांग्रेस के अलावा यहां करणी सेना भी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है.
बता दें कि रतलाम जिले में जावरा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. कांग्रेस बीजेपी के सामने करणी सेना परिवार भी पूरी ताकत से निर्दलीय प्रत्याशी के लिए नामांकण भरने की तैयारी कर चुके हैं, और साथ ही प्रदेश की 65 सीट पर भी अपने उम्मीदवार तय कर दिए है.
क्या कहा कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशी ने?
जावरा में बीजेपी के विधायक राजेन्द्र पांडे को दोबारा पार्टी ने टिकट दिया है. राजेन्द्र पांडे ने बीजेपी के विकास कार्यों पर अपनी जीत का दावा किया है और फिलहाल नामांकन के बाद ही मुकाबले के त्रिकोणीय होने की स्थिति स्पष्ट होने की बात कही है.
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हिम्मत श्रीमाल ने अपने विरोध को लेकर कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जिन्हें टिकट नहीं दिया, वह केवल 2 से 4 लोग है, जिनसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. वहीं बीजेपी को चुनावी समय में जनता को प्रलोभन देने वाली सरकार बताते हुए अपनी जीत का दावा किया.
करणी सेना भी तैयार
हालांकि जावरा में करणी सेना परिवार संगठन के प्रमुख जीवन सिंह भी इस बार पूरी ताकत से निर्दलीय नामांकन भरकर मैदान में है. और प्रदेश में 65 सीट पर भी अपने संगठन के प्रत्याशी तैयार कर लिए जाने का दावा कर दिया है. वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर जनता के बीच जाने की बात कही है.
चौंकाने वाला परिणाम आ सकता है
जावरा में त्रिकोणीय मुकाबले की बात की जाए तो कांग्रेस ने लंबे समय से पार्टी में कार्यरत एक उम्रदराज स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने अपने वर्तमान विधायक पर भरोसा किया है. लेकिन कांग्रेस भाजपा के आपसी मुकाबले में इस बार करणी सेना परिवार की घुसपैठ दोनों का खेल बिगाड़ सकती है. क्योंकि इस विधान सभा मे राजपूत समाज की संख्या भी बहुत ज्यादा है. ऐसे में जावरा में त्रिकोणीय मुकाबले के पूरे आसार बन चुके है और संभवतः जावरा के परिणाम भी चौंकाने वाले आ सकते है.
जावरा सीट का जातीगत समीकरण
जावरा विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो यहां पर मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं. इसके अलावा यहां पाटीदार, गुर्जर और किरार समाज के लोग भी बहुतायत में हैं. इसके साथ ही दलित और ब्राह्मण वोट भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं.
रिपोर्ट - चन्द्रशेखर सोलंकी