Rampur Baghelan Vidhan Sabha Seat: रामपुर बघेलान विधानसभा सीट सतना जिले की अहम सीट मानी जाती है. ये क्षेत्र कभी विंध्य प्रदेश का और फिर कभी रीवा लोकसभा का हिस्सा हुआ करता था. इसी क्षेत्र से प्रदेश को कांग्रेस के गोविंद नारायण सिंह मुख्यमंत्री के तौर पर मिल चुके हैं. यहां एक समय कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन एक चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो चुकी हैं, बीजेपी ने यहां से गोविंद नारायण सिंह के पोते और वर्तमान विधायक विक्रम सिंह को फिर मौका दिया है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी का इंतजार हैं. 


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रामपुर बघेलान सीट 


रामपुर बघेलान सतना और रीवा जिले की सीमा को जोड़ने वाला एरिया हैं. ये सीट सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह की परंपरागत सीट भी मानी जाती थी. वह यही से चुनाव लड़ते थे. इसके बाद यहां से विधायक हर्ष सिंह रहें जो बाद मे मंत्री भी बनें और अब इस सीट पर हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह भाजपा से विधायक हैं.  अपनी पारिवारिक राजनीतिक विरासत को संभालने वाले विक्रम सिंह पहली 2018 में से विधायक बने थे, बीजेपी ने एक बार फिर से विक्रम पर ही भरोसा जताया है. 


इस सीट पर पार्टियों की स्थिति


रामपुर बघेलान सीट 2013 से पहले कांग्रेस का गढ़ कही जाती थी.  फिर 2013 के बाद इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया. इस सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी का भी वोट बैंक रहा है. जो कभी भी जीत में कन्वर्ट हो सकता है. ऐसा इसालिए क्योंकि 2008 में बीएसपी से रामलखन सिंह ने जीते थे जबकि 2013 और 2018 के विधानसभा के चुनाव नतीजें में बहुजन समाजवादी पार्टी दूसरें नंबर पर रही थी.  पर पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. 


रामपुर बघेलान का जातीय समीकरण


यहां पर तीन मुख्य जातियां हैं जो चुनावी समीकरण को बदल सकती हैं. वो हैं ठाकुर, ब्राह्मण और पटेल जाति जिनके मतदाता या यूं कहे कि निर्णायक भूमिका में रहती हैं. यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 255344 हैं. जिसमें महिला मतदाता- 113617 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 141727 हैं. इस क्षेत्र में कुल मतदान केंन्द्रों की संख्या 149 हैं. 


रामपुर बाघेलन का राजनीतिक इतिहास 


2018 में भाजपा के विक्रम सिंह ने जीत दर्ज की थी.  
2013 में भाजपा के हर्ष सिंह ने जीत दर्ज की थी. 
2008 में बीएसपी के रामलखन सिंह ने जीत दर्ज की थी. 


2013 के चुनाव नतीजें


2013 चुनाव में कांग्रेस की इस परंपरागत सीट पर पहली बार भाजपा ने सेंध लगाई थी. तब हर्ष सिंह करीब 24 हजार वोटों के बड़े अंतर से जीते थे. उस समय हर्ष सिंह और बीएसपी के रामलखन पटेल के बीच कड़ा मुकाबला था,  जिन्हें 47 हजार वोट हासिल हुए थे.  कांग्रेस 2013 में चौथे स्थान पर रही थी. कांग्रेस को एक निर्दलीय उम्मीदवार से भी कम 5491 वोट मिले थे.