संजय लोहानी/सतना: प्रभु श्री राम की कर्मभूमि 84 कोषीय चित्रकूट क्षेत्र स्थित सिद्धा पहाड़ जहां रामायण काल में श्री राम ने राक्षसों के वध की प्रतिज्ञा ली थी, उसे सरकार खनिज कारोबारियों को लीज में देकर खोदने की तैयारी कर कर रही है. 


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श्री राम के प्रतिज्ञा स्थल का नहीं बचेगा कोई अस्तित्व 
राज्य शासन ने इस पूरी पहाड़ी पर खनन अनुमति देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. इसके लिये मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने पर्यावरणीय अनुमति के लिये 30 सितंबर को जनसुनवाई आयोजित की है. इस अनुमति के बाद इस पहाड़ से हर वर्ष लगभग 43 हजार टन खनिज की खुदाई होगी.अगर इस सिद्धा पहाड़ की खुदाई की अनुमति मिल जाती है तो अगले कुछ सालों में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का यह पहाड़ नक्शे से गायब हो जाएगा और प्रभु श्री राम के प्रतिज्ञा स्थल का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा. 


ज‍िले भर में फैला आक्रोश  
इस मामले के सामने आने के बाद जिले भर में आक्रोश की स्थितियां निर्मित हो गई हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ साधु संतों ने भी इसे गलत बताया है. 


मान्‍यता के अनुसार अस्‍थ‍ियों से बना था ये पहाड़ 
भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में अवश्य हुआ था किन्तु वनवास काल में उनकी अधिकांश लीलायें चित्रकूट में संपन्न हुईं जहां राम मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम बने. रामचरित मानस में अरण्यकांड में उल्लेख है कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला. यह पहाड़ अस्थियों से बना था. तब राम को ऋषि-मुनियों ने बताया कि यहां राक्षस कई साधु संतो व ऋषि मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं तो भगवान राम ने इसी स्थान पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी. इसका उल्लेख तुलसीदास की चौपाइयों व दोहों में इस तरह है-


अस्थि समूह देखि रघुराया। पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया।।


जानतहूँ पूछिअ कस स्वामी। सबदरसी तुम्ह अंतरजामी।।


निसिचर निकर सकल मुनि खाए। सुनि रघुबीर नयन जल छाए।।


निसिचर हीन करउँ महि, भुज उठाइ पन कीन्ह।


सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि, जाइ जाइ सुख दीन्ह।।


प्रतिवर्ष 43713 टन खुदाई का माइनिंग प्लान
धार्मिक महत्व के सिद्धा पहाड़ पर खनन करने के लिये मैसर्स राकेश एजेन्सीज, पार्टनर श्याम बंसल ने पर्यावरणीय अनुमति (ईसी) के लिये आवेदन दिया था लेकिन जिला स्तर पर इस पहाड़ के धार्मिक महत्वों की अनदेखी करते हुए प्रकरणों को बिना रोक टोक के शासन स्तर तक पहुंचाया गया. इसके बाद अब ईसी के लिये क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोक सुनवाई की सूचना जारी कर दी जिसमें बताया गया है कि इस पहाड़ को खोद करके बॉक्‍साइट, लैटराइट, ओकर एवं व्‍हाइट क्ले निकाली जाएगी. प्रतिवर्ष 43713 टन खुदाई का माइनिंग प्लान बताया गया है.


 



व‍िवाद गहराने पर पहुंचे कलेक्‍टर 


जैसे ही यह सूचना सार्वजनिक हुई तो लोगों में आक्रोश फैल गया लेकिन विवाद गहराने के बाद जिला कलेक्टर आज मौके पर पहुंचे और उन्होंने पूरे मामले पर कुछ इस तरह जवाब दिया.  


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