MP Election 2023: मध्य प्रदेश (MP Election 2023) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Chunav) के चुनाव को बस कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. बीजेपी और कांग्रेस में लगातार जुबानी जंग जारी है. इसी बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है, जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स तरह- तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं. आइए देखते हैं यूजर्स के कमेंट्स...
दिग्विजय सिंह का रावण कौन?
हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा कि, त्रेता युग में रावण के दस चेहरे थे. महाभारत में कौरवों की संख्या सौ थी.इस कलयुग में हज़ारों लाखों चेहरों और ज़ुबानों में रावण है. कहीं प्रत्यक्ष कहीं अप्रत्यक्ष. प्रभु राम इन सभी दृश्य अदृश्य रावणों का संहार करें. धरती को कुशासन और कपट के पाप काल से मुक्त करें ! विजयदशमी की शुभकामनाएँ!!
दिग्विजय सिंह के इस पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा- डिकी राजा क्या आपका इशारा तालिबानी, पाकिस्तानी, आपके ओसामा जी के अल-कायदा, इण्डियन मुजाहिद्दीन, आईएसआईएस, हमास, जिज्ज़बुल्ला आदि की तरफ़ है ? क्यों की हज़ारो-लाखों में तो ये आते है और भारतीयों को आप ऐसा बोलोगे नहीं आख़िर ख़ुद भी एक भारतीय हो और आपके विरोधी भारतीयों ने ऐसे कारनामे किए भी नहीं जो ऊपर लिखे नाम वालों ने किये. विजयदशमी की शुभकामनाएँ.
दूसरे यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा- युवाओं के भविष्य को संवार रहे शिवराज जी… ग्रामीण हो या शहरी, हर बेरोजगार युवा को कंपनियों में काम सीखने पर दिया जा रहा है, 10 हजार रुपए तक स्टापेंड, हम लेंगे काम का पैसा, फ्री की रेवड़ी से हमारा क्या वास्ता. @ChouhanShivraj #शिवराज_संग_युवा.
एक अन्य यूजर ने लिखा- राम के अस्तित्त्व को नकारने वाले राम कथा वाचक बन रहे हैं. देखकर अच्छा लगा. रावण को भी राम के महत्व का पता मृत्यु शय्या पर ही हुआ था. अपने जीवनोर्यंत कार्यों का समाकलन करके निश्चित कर लो, की आप रावण के पक्षकार रहे हो या राम के. भगवान राम आप का भला करें. जय श्री राम.
अमित भाई चलो, महाराज दिग्विजय सिंह राघौ गढ़ ने रावण का जिक्र किया सृफनाखा का नाम नहीं लिया नरेंद्र भाई राजा साब का शुक्रिया करो.
वहीं एक अन्य यूजर ने उनके पक्ष में कमेंट करते हुए लिखा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मध्य प्रदेश में पनप रहे असंतोष को शांत करने के लिए जरूरी आवश्यक कदम तुरंत उठाने चाहिए. पनप रहे विद्रोह को शांत करने के लिए विरोध को दबाने के लिए रूठे हुए पार्टी के व्यक्तियों को मनाने के लिए सत्ता और संगठन में उचित जगह देकर असंतोष को शांत करें.
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