Zakir Khan Shayari: इंदौर के जाकिर खान एक भारतीय कॉमेडियन, लेखक, कवि और अभिनेता हैं. जाकिर खान "सख्त लौंडा" की कई ऐसी शायरियां हैं, जो हमारे दिल के पुराने जख्मों को ताजा कर देती हैं. ऐसी ही जाकिर भाई की कुछ शायरियां हम आपके लिए लाए हैं.
खजाने लूट रहे थे मां बाप की छाव में, हम कौड़ियों के खातिर, घर छोड़ के आ गए।
इंतकाम सारे पूरे किए, पर इश्क अधूरा रहने दिया। बता देना सबको कि में मतलबी बड़ा था। हर बड़े मुकाम पे तन्हा ही मैं खड़ा था।
मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं कि अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है।
मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये था मुझे बस वो... और उसे सारा जमाना चाहिए था।
मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत, तेरा ज़िक्र ही कहां था , मेरी दास्तान से पहले।
इश्क़ किया था हक से किया था सिंगल भी रहेंगे तो हक से ।
जिंदगी से कुछ ज्यादा नहीं, बस इतनी सी फर्माइश है, अब तस्वीर से नहीं, तफसील से मिलने की ख्वाइश है ।
तुम भी कमाल करते हो , उम्मीदें इंसान से लगा कर शिकवे भगवान से करते हो।
दिलों की बात करता है ज़माना, पर आज भी मोहब्बत चेहरे से ही शुरू होती हैं।
वे वजह बेवफाओं को याद किया है, ग़लत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है।
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