Positive Story: एक-दो नहीं, इस 50 दिन की बच्ची के पास हैं 36 डॉक्यूमेंट्स, पिता के इस कदम से बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
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Positive Story: एक-दो नहीं, इस 50 दिन की बच्ची के पास हैं 36 डॉक्यूमेंट्स, पिता के इस कदम से बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

Positive Story From Chhindwara: छिंदवाड़ा की एक 50 दिन की बच्ची के नाम लंदन वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. क्योंकि, उसके पिता ने अपने बेटे के कई दस्तावेज बनवा लिए हैं, जिससे उसे किसी तरह की परेशानी की सामना नहीं करना पड़ेगा.

Positive Story: एक-दो नहीं, इस 50 दिन की बच्ची के पास हैं 36 डॉक्यूमेंट्स, पिता के इस कदम से बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

Chhindwara News: छिंदवाड़ा। एक तरफ आज भी जागरूकता के अभाव एवं लापरवाही के कारण बहुत से पालकों द्वारा अपने बच्चों के बुनियादी दस्तावेज जैसे की जन्म प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड आदि तब तक नहीं बनवाए जाते. जब तक की बच्चों का स्कूल में दाखिला ना कराना हो या फिर किसी जरूरी काम के लिए कागजों की जरूरत ना पड़े. ऐसे में छिंदवाड़ा में एक पिता ने अपनी 50 दिन की बेटी के इतने कागजात बनवा दिए की उसके नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड तक बन गए.

माका पिता का प्रयास
समृद्धि के पिता मनीष बन्देवार कलेक्टर ऑफिस छिंदवाड़ा में आबकारी विभाग के क्लर्क हैं. छिंदवाड़ा रहने वाले प्रिया और मनीष बन्देवार द्वारा अपनी पुत्री समृद्धि बन्देवार के महज 50 दिवसों की उम्र में सर्वाधिक शासकीय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तथा शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से संबंधित जीवन उपयोगी दस्तावेज बना कर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लन्दन में नाम दर्ज कराया गया है. ऐसे में ये एक बड़ा ही सराहनीय कार्य है.

36 दस्तावेज करवाए तैयार
समृद्धि के माता-पिता द्वारा अपनी बेटी के नाम शासन द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं लाड़ली लक्ष्मी योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, महिला सम्मान बचत-पत्र, जन्म प्रमाण-पत्र, समग्र सदस्य कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक खाता, चेक बुक, एटीएम, मूल निवासी, स्थाई जाति प्रमाण, डिजिलॉकर, शिक्षा व कन्यादान से संबंधित एलआईसी पॉलिसी जैसे विभिन्न कुल 36 जीवन उपयोगी दस्तावेज बनवा लिए हैं.

माता पिता ने क्यों किया ऐसा
बच्ची के माता पिता का मानना है की इन योजनाओं के माध्यम से शासन ने समाज के अंदर बेटियों के प्रति आदर व सद्भाव को बढ़ाया है और सशक्त बनाया है.  उनका उद्देश्य है कि हमारे देश के पालकगण अपने पुत्र/पुत्री के आवश्यकता अनुरूप महत्वपूर्ण उक्त दस्तावेजों को बनवाने में लापरवाही न बरतते हुए समय से बनवाएं. उनका ऐसा करने से पीछे जागरूकता का संदेश प्रसारित करना है ताकि आवश्यकता पड़ने पर बच्चों अथवा पालकगणों को परेशानी का सामना न करना पड़े.

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