संजय लोहानी/सतनाः हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में कई उम्मीदवारों की जहां किस्मत चमकी, वहीं कई ऐसे भी रहे, जिन्हें निराशा हाथ लगी है. ऐसे ही एक नेताजी तो चुनाव में मिली हार से इतने आहत हुए हैं कि उन्होंने राजनीति से ही संन्यास की घोषणा कर दी है. खास बात ये है कि नेताजी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे थे लेकिन हार से उन्हें इतना दुख पहुंचा की राजनीति की डगर पर जाने का इरादा ही बदल दिया. नेताजी जनपद सदस्य (Janpad Panchayat Election) का चुनाव जीत गए लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 


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क्या है मामला
सरकारी सेवा में रहते हुए रावेंद्र सिंह राजनीति की तरफ आकर्षित हुए. जिसके बाद उन्होंने साल 2012 में पटवारी की नौकरी से इस्तीफा देकर पूरी तरीके से राजनीति में उतरने का फैसला किया. साल 2015 में रावेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी को सतना (Satna) मेयर पद के लिए चुनाव लड़ाया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. हालांकि वह मंडी सदस्य बनने में सफल रहीं. इसके बाद रावेंद्र सिंह ने साल 2018 में बसपा के टिकट पर चित्रकूट विधानसभा से बसपा का चुनाव लड़ा. उस चुनाव में रावेंद्र सिंह को 34 हजार वोट मिले लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सके. 


इस बार के पंचायत चुनाव में रावेंद्र सिंह ने जनपद सदस्य का चुनाव लड़ा और वार्ड 5 से एक तरफा जीत हासिल की. जनपद सदस्य बनने के बाद रावेंद्र सिंह ने रामपुर बघेलान का जनपद अध्यक्ष का चुनाव लड़ा लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. रावेंद्र सिंह को 8 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. इस हार से रावेंद्र सिंह इतने आहत हुए कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का ही फैसला कर लिया है. 


रावेंद्र सिंह ने जनपद अध्यक्ष चुनाव में मिली हार से इतने आहत हुए कि उन्होंने सामाजिक संगठन के सभी पदों से भी इस्तीफा दे दिया है और भविष्य में राजनीति करने से तौबा कर ली है.