Khargone Ka Jal Mandir: नन्हेंश्वर धाम में साल में एक बार खुलने वाले जलमंदिर में विराजित अतिप्राचीन शिवलिंग श्री हाटकेश्वर भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोला गया.
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Khargone News: खरगोन। खरगोन जिले के भगवानपुरा के वनांचल में स्थित महर्षि मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि नन्हेंश्वर धाम में साल में एक बार खुलने वाले जलमंदिर में विराजित अतिप्राचीन शिवलिंग श्री हाटकेश्वर भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. इस दौरान श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा. वर्ष भर जल में विराजित भगवान भोलेनाथ के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतार लग गई.
पानी हटाने पर हुए शिव दर्शन
इस दौरान बावड़ी में मोटर लगाकर पानी खाली किया गया. उसके पश्चात पांच जोड़ों द्वारा विधिपूर्वक श्री मार्केंडेश्वर महादेव के शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक किया गया, जिसके बाद हजारों श्रद्धालुओं ने भी भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर दर्शन किए. इस अवसर पर पुरे नन्हेश्वर धाम को आकर्षक रंग बिरंगी फूलो से सजाया गया.
कई राज्यों से आए भक्त
इस वर्ष भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए खरगोन जिले सहित महाराष्ट्र ,गुजरात और राजस्थान से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान लगभग 40 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मार्केंडेश्वर भगवान के दर्शन किये. शाम 7 बजे जलमन्दिर के पट बन्द कर दिए, जिसके बाद श्रद्धालुओं द्वारा बाहर से दर्शन किए गए.
भंडारा और व्यवस्था मुस्तैद
संत हरिओम बाबा के सान्निध्य में जनसहयोग से विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों शिव भक्तों ने महाप्रसादी ग्रहण की. भंडारे की व्यवस्था ग्राम भग्यापुर और भगवानपुरा के ग्रामीणों द्वारा संभाली गई. इस दौरान पुलिस प्रशासन भी पूरे समय व्यवस्था में मुस्तैद रहा.
क्या है पौराणिक महत्व
इस मंदिर के रोचक तथ्य यह है कि यह वर्ष भर जलमग्न रहने वाली बावड़ी में सात फिट पानी एक नियत स्थान तक बना रहा है न घटता है और न ही बढ़ता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जल में विराजित शिवलिंग के दर्शन करने का विशेष महत्व माना गया है.
साल में एक बार खुलता मंदिर
मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि इस हाटकेश्वर महादेव की शिवलिंग प्रदेश सहित देश मे ऐसा पहला शिवलिंग है जो सिर्फ साल में एक बार खुलता हैं. जहां शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. यहां पर ऋषि मार्कण्डेय जी ने तपस्या भी की थी.
मान्यता अनुसार महर्षि मार्कण्डेय ऋषि ने 11 वर्ष की उम्र में आकर तपस्या कर इस अद्भुत शिवलिंग को स्थापित किया था. इसीलिए इस नन्हेश्वर महादेव के स्थान को सिद्ध माना गया. आयोजन का यह लगातार 30 वां वर्ष है जो सन 1994 से अनवरत जारी है.