सिखों के Diwali मनाने के पीछे की क्या है कहानी, Madhya Pradesh के ग्वालियर से है खास कनेक्शन
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सिखों के Diwali मनाने के पीछे की क्या है कहानी, Madhya Pradesh के ग्वालियर से है खास कनेक्शन

आज 4 नवम्बर को देशभर में दीपावली (Diwali 2021) मनाई जा रही है. हिंदू दिवाली मनाते हैं भगवान राम (Bhagwan Ram) के नाम पर. भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या (Ayodhya) लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था.

क्या आपको पता है सिख धर्म के दीपावली मनाने के पीछे का कारण?

नई दिल्ली: आज 4 नवम्बर को देशभर में दीपावली (Diwali 2021) मनाई जा रही है. हिंदू दिवाली मनाते हैं भगवान राम (Bhagwan Ram) के नाम पर. भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या (Ayodhya) लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. उस दिन से हिंदू दिवाली भगवान राम के लिए मनाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है सिख धर्म (Sikh) के दीपावली मनाने के पीछे कारण. साथ ही सिखों की दीपावली का मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर से भी एक खास कनेक्शन है. सिखों की दीपावली की शुरूआत ग्वालियर से ही हुई थी. पढ़िए यहां...

गुरु हरगोविंद साहिब को किया था कैद 
मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद साहिब को ग्वालियर के किले में कैद कर लिया था. उस जगह और 52 हिन्दू राजा कैद में थे. जब हरगोविंद साहिब को जेल में लाए तो सभी राजाओं ने उनका सम्मान किया. उनकी ये प्रसिद्धि से जहांगीर झल्ला गया और उन्हें परेशान करने लगा. कुछ समय बाद उन्हें छोड़ने का आदेश आया. इसपर गुरु हरगोविंद साहिब ने शर्त रखी कि वो अकेले रिहा नहीं होंगे. उनके साथ बाकी 52 राजाओं की भी रिहाई की जाए. उनकी जिद्द के आगे जहांगीर को झुकना पड़ा और कार्तिक की अमावस्या यानि दीपावली के दिन सभी को रिहाई दी गई. इसके बाद से सिख इस दिन को दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं.

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क्यों छोड़ा था जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब को
जहांगीर ने गुरु हरगोविंद को 2 साल 3 महीने तक जेल में रखा. इसके बाद जहांगीर बीमार रहने लगा, तब उसे किसी पीर ने बताया कि ग्वालियर किले में बंद गुरु हरगोविंद साहिब को मुक्त करने के बाद ही वो ठीक हो पाएंगे. इसी के बाद गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने के लिए जहांगीर ने आदेश दिया. जहांगीर हरगोविंद साहिब के पास गया और कहा कि आपको यहां से मुक्त किया जा रहा है. तब गुरु हरगोविंद साहिब ने कैद में रखे गए बाकी 52 हिंदू राजाओं को अपने साथ लेकर जाने की बात कही. तब जहांगीर ने भी एक शर्त रखी थी.

दिलचस्प है रिहाई की कहानी
गुरु हरगोविंद साहिब की शर्त पर जहांगीर ने कहा कि आपके साथ सिर्फ वही राजा बाहर जाएंगे, जो आपका कोई कपड़ा पकड़े होंगे. हरगोविंद साहिब ने जहांगीर की शर्त स्वीकार की. जहांगीर की चालाकी के जवाब में गुरु जी ने 52 कलियों का एक कुर्ता सिलवाया. उसकी हर कली को पकड़ते हुए सभी 52 हिंदू राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गए. उस समय ग्वालियर के किले से 52 हिंदू राजाओं को एक साथ छोड़ा गया था. उस दिन से उस किले में मौजूद गुरुद्वारे का नाम 'दाता बंदी छोड़' प्रसिद्ध हो गया.

'दाता बंदी छोड़' दिवस 
आज भी यहां लाखों सिख धर्म के अनुयाई अरदास करने आते हैं. ये सिख समाज का छठवां सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग अपनी अरदास करने के लिए आते हैं. और सिख समाज यहां खास दिवाली मनाता है. कार्तिक माह की अमावस्या को 'दाता बंदी छोड़' दिवस की तरह मनाया जाता है. बड़े ही धूमधाम से हरगोबिंद साहिब गुरुद्वारे पर लाखों की संख्या में दीपदान कर दीपावली मनाई जाती है. 

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