Vishwakarma Day 2021:जानिए क्या है भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त, मिलता है विशेष लाभ
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Vishwakarma Day 2021:जानिए क्या है भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त, मिलता है विशेष लाभ

Vishwakarma Day 2021 17 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से 18 सितंबर शनिवार को दोपहर 3:36 बजे तक पूजा की जा सकती है. 17 सितंबर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान पूजा न करें. बाकी समय पूजा का योग रहेगा.

Vishwakarma Day 2021

नई दिल्ली: विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Day 2021) हर साल कन्या संक्रांति के दिन की जाती है. इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, शुक्रवार यानी कल है. बता दें कि विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना है. इसलिए विश्वकर्मा दिवस पर औजारों की पूजा का खास महत्व है. जो लोग उद्योग में हैं, फैक्ट्र‍ी के मालिक हैं या मशीनों व औजारों का काम करते हैं, वह उस दिन खास पूजा करते हैं.

बन रहा यह योग
विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस योग में इस पर्व को मनाया जाना अपने आप में बेहद खास है. 

यह है शुभ मुर्हूर्त 
17 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से 18 सितंबर शनिवार को दोपहर 3:36 बजे तक पूजा की जा सकती है. 17 सितंबर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान पूजा न करें. बाकी समय पूजा का योग रहेगा.

ऐसे करें पूजा
विश्वकर्मा पूजा के लिए अपने कार्यस्थल की सफाई कर वहां पूजा का स्थान बनाएं. फूलों से सजा कर उस जगह भगवान विश्वकर्मा की मूर्ती या चित्र स्थापित करें. इसके बाद उनकी पूजा करें और भोग लगाए. भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी औजारों को तिलक लगाकर मौली बांधे व धूप करें. पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटें. 

भूल कर भी न करें ये काम
इस दिन औजारों व मशीनों की पूजा कर उनका इस्तेमाल ना करें. कितना भी जरूरी काम हो उसे अगले दिन के लिए टालें. मशीनों की पूजा के बाद उसी दिन उनसे काम लेना सही नहीं है.

अस्त्र-शस्त्र का किया था निर्माण
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को  निर्माण और सृजन का देव कहा गया है. भगवान विश्वकर्मा ही हैं जिन्होंने देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था. कहा जाता है कि जिस वक्त भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे उस समय विश्वकर्मा ने भी उनकी सहायता की थी. 

कहा यह भी जाता है कि विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, द्वारिका, सुदर्शन चक्र, महादेव का त्रिशूल आदि अस्त्र-शस्त्र भी बनाए हैं. स्वर्ण नगरी लंका, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ, जगन्नाथ पुरी के मुख्य मंदिर का निर्माण इनके द्वारा किया गया है. 

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