MP में गुड सेमेरिटन स्कीम लांन्च, नेक इंसान को मिलेगा 1 लाख का ईनाम, जानिए कैसे?
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार नेक और अच्छे लोगों को पुरस्कार देगी. ये अवॉर्ड ऐसे लोगों को मिलेगा जो सड़क हादसे में शिकार लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाएंगे.
भोपाल: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार नेक और अच्छे लोगों को पुरस्कार देगी. ये अवॉर्ड ऐसे लोगों को मिलेगा जो सड़क हादसे में शिकार लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाएंगे. घायल की जान बचाने वाले शख्सियत को सरकार की तरफ से 5 हजार का ईनाम दिया जाएगा.
दरअसल, सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार 'गुड सेमेरिटन' (नेक आदमी) योजना को प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी लागू किया. इसमें पीड़ितों को स्वर्ण घंटे यानी गोल्डन आवर में (शुरुआती बेशकीमती समय में पीड़ितों के अस्पताल पहुंचाए जाने पर उसकी जान बचने की गुंजाइश होती है) के भीतर अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों को पुरस्कृत किया जाएगा.
मध्य प्रदेश यातायात और सड़क सुरक्षा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जी जनार्दन (ADG G Janardan) ने शनिवार को बताया कि गुड सेमेरिटन स्कीम' (नेक आदमी योजना) के तहत ऐसे व्यक्ति को सम्मानित किया जाएगा जो सड़क हादसे में किसी घायल को अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाने की कोशिश करेगा. नेक आदमी एक घंटे की भीतर अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर ले जाकर उसकी जान बचाता है, तो उसे पांच हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा. केंद्र की यह योजना मध्यप्रदेश में 15 अक्टूबर से लागू हो गई है.
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एडीजी ने कहा कि पूरे साल एक व्यक्ति अधिकतम 5 बार सम्मानित किया जा सकता है. सम्मान के तौर पर 5 हजार नकद और प्रशंसा प्रमाण-पत्र सरकार की तरफ से दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति के मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी में चोट या कम से कम तीन दिन के लिए अस्पताल में भर्ती रहने या बड़ी सर्जरी होने की स्थिति में मदद करने वाला व्यक्ति गुड सेमेरिटन नकद पुरस्कार के लिए पात्र होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें हर साल 10 राष्ट्रीयस्तर के पुरस्कार दिए जाएंगे. जिन्हें उन सभी लोगों में से चुना जाएगा जिन्हें पूरे वर्ष के दौरान सम्मानित किया गया है. राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार में अतिरिक्त तौर पर एक लाख रुपये का पुरस्कार, प्रशंसा पत्र और एक ट्रॉफी भी दी जाएगी.
क्या होता है गोल्डन आवर?
स्वर्ण घंटे (गोल्डन आवर) पर एडीजी जी जनार्दन ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के धारा 2 (12ए) के अनुसार स्वर्ण घंटे का मतलब वह एक घंटे का समय है, जो व्यक्ति को दर्दनाक चोट लगने के बाद का एक घंटा होता है. इस एक घंटे के दौरान घायल या घायलों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाया जाता है ताकि उसकी जान बच सके या बचने की संभावना होती है.
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1 लाख 31 हजार मौत
एडीजी की माने तो केंद्र की योजना का उद्देश्य आम जनता को आपात स्थिति में सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करना है. साथ ही दूसरों को भी घायलों की मदद के लिए प्रेरित करना है. आपको बता दें कि अगस्त महीने में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संसद को सूचित किया कि वर्ष 2020 के दौरान भारत में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए और उनमें 1,31,714 मौतें हुई हैं.
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