Water Dispute: क्या है MP-राजस्थान का जल विवाद? जिसके समाधान के लिए CM मोहन पहुंचे जयपुर
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Water Dispute: क्या है MP-राजस्थान का जल विवाद? जिसके समाधान के लिए CM मोहन पहुंचे जयपुर

MP-Rajasthan Water Dispute: मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच चंबल नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद है. मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का समाधान निकालेंगे. MP के सीएम मोहन यादव जयपुर पहुंचे.

MP-Rajasthan Water Sharing Dispute

MP-Rajasthan Water Sharing Dispute: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव आज पड़ोसी राज्य राजस्थान के दौरे पर हैं. सीएम मोहन यादव आज जयपुर पहुंचे. जहां वे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात करेंगे. सीएम मोहन का यह दौरा बेहद खास है क्योंकि यहां मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का मुद्दा सुलझ जाएगा. जयपुर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारें मिलकर नदी जल बंटवारे को लेकर कुछ फैसले लेने जा रही हैं. उन्होंने कहा कि यह फैसला न सिर्फ दोनों राज्यों की भलाई के लिए होगा बल्कि लाखों किसानों की जिंदगी भी बदल देगा.

CM Mohan Yadav News: खत्म होगा MP-राजस्थान के बीच जल विवाद, CM मोहन ने कही बड़ी बात

MP-राजस्थान का जल बंटवारा विवाद क्या है?
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारा का विवाद चंबल नदी को लेकर है. साठ के दशक में मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक समझौता हुआ था. जिसके मुताबिक चंबल नदी पर बने बांधों से दोनों राज्यों को 50-50 फीसदी पानी मिलना चाहिए.

दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के अनुसार, मध्य प्रदेश चंबल संभाग में सिंचाई के लिए कोटा बैराज से 3900 क्यूसेक पानी प्राप्त करने का हकदार है. हालांकि, राजस्थान नवंबर में महत्वपूर्ण रबी सीज़न के दौरान इस सप्लाई को पूरा नहीं किया. राजस्थान 3900 क्यूसेक पर सहमति के बजाय केवल  2800 से 2900 क्यूसेक या इसके आसपास प्रदान कर रहा है.

एमपी में हो जाती है पानी की समस्या
बता दें कि मध्य प्रदेश की सख्त मांग के बावजूद, राजस्थान लगभग 3000 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है, जिससे एमपी पानी की समस्या हो जाती है. इसके चलते चंबल संभाग में सिंचाई पर प्रभाव पड़ता है. जिससे लहार-अटेर जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. अब आज दोनों राज्यों के बीच एक समझौता किया जा सकता है. इस समझौते में पानी के बंटवारे के नए नियम तय किए जा सकते हैं. जिससे चंबल नदी पर बने बांधों में पानी की कमी को दूर करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं.

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