इंदौर: इंदौर नगर निगम को 1 अप्रैल से टैक्स बढ़ाने के अपने फैसले को वापस लेने पड़ा है. कांग्रेस के साथ ही भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा टैक्स वृद्धि का विरोध किए जाने के बाद सरकार को झुकना पड़ा है. उसने टैक्स वृृद्धि के फैसले को स्थागित कर​दिया है. भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से इस मुद्दे पर बात की थी और टैक्स वृद्धि नहीं करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह फैसला वापस ले लिया गया है.


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एक मकान मालिक पर हर महीने आता 940 रुपए का बोझ
इंदौर नगर निगम ने 1 अप्रैल से जो टैक्स वृद्धि लागू करने वाला था उससे हर महीने एक मकान मालिक की जेब पर कम से कम 940 रुपए और सालभर का 11280 रुपए अतिरिक्त बोझ पड़ता. इसके अलावा संपत्तिकर गाइड लाइन से चुकाना पड़ता, इसका भार अलग पडता. वर्तमान में घर-घर जाकर कचरा उठाने वाले वाहन का शुल्क 62 रुपए से शुरू होकर 150 रुपए प्रतिमाह (घरेलू) है, जिसे बढ़ाकर 150 से 300 रुपए प्रतिमाह करने का फैसला इंदौर नगर निगम ने किया था.


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इसी प्रकार नर्मदा के पानी के लिए प्रतिमाह 200 रुपए चुकाना पड़ते हैं, इसे बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिमाह करने की तैयारी थी. इंदौर नगर निगम 1 अप्रैल से सीवरेज शुल्क भी वसूलने वाला था. आवासीय श्रेणी में सीवरेज लाइन जोड़ने पर 240 हर महीने देने पड़ते. यही स्थिति संपत्ति कर को लेकर होती, जिसमें इंदौरवासियों को अपनी-अपनी संपत्ति पर भारी टैक्स नगर निगम को चुकाना पड़ता. 


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इंदौर नगर निगम ने क्या बताया था टैक्स बढ़ाने का कारण?
इंदौर नगर निगम ने पहली बार 5 गुना टैक्स बढ़ाने को लेकर जो वजहें बताई थीं उसके मुताबिक शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में 204.83 करोड़ रुपए, जल प्रदाय सेवा में 302.46 करोड़ रुपए और सीवरेज में 27 करोड़ से यादा राशि व्यय की जाती है. इसकी तुलना में जो कलेक्शन होता है वह कम है. 


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पांच गुना वसूलने का प्रस्ताव था, दोगुने की स्वीकृति मिली
इसलिए 5 गुना टैक्स बढ़ाने प्रस्ताव इंदौर नगर निगम प्रशासन ने सरकार को भेजा था. सरकार ने 5 गुना टैक्स के स्थान पर दोगुना टैक्स लगाने की स्वीकृति दी थी. इस टैक्स वृद्धि का इंदौरवासी विरोध कर रहे थे. आने वाले समय में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार ने इस टैक्स वृद्धि को स्थगित कर दिया है. 


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