मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल भोपाल स्थित हमीदिया हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं. इसका कारण गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के मेडिसिन विभाग के 29 डॉक्टरों द्वारा सामूहिक इस्तीफा देना है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल भोपाल स्थित हमीदिया हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं. इसका कारण गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के मेडिसिन विभाग के 29 डॉक्टरों द्वारा सामूहिक इस्तीफा देना है. दरअसल, ये डॉक्टर मेडिसिन विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट केके कांवरे का ट्रांस्फर किए जाने से नाराज हैं. उन्होंने इस फैसले के विरोध में सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. आपको बता दें कि कोरोना मरीजों के इलाज का जिम्मा मेडिसिन विभाग ही संभालता है.
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दरअसल, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग 28 मार्च काे हमीदिया अस्पताल के दाैरे पर थे. गांधी मेडिकल काॅलेज (जीएमसी) की डीन डाॅ. अरुणा कुमार तय समय से 15 मिनट देरी से पहुंचीं थीं. मंत्री के आदेश पर बुधवार काे उन्हें पद से हटा दिया गया. उनके स्थान पर ऑर्थाेपेडिक डिपार्टमेंट के प्राेफेसर डाॅ. जितेन शुक्ला काे नया प्रभारी डीन बनाया गया है. डाॅ. अरुणा के अलावा ऑर्थाेपेडिक डिपार्टमेंट के प्राेफेसर डाॅ. संजीव गाैर का तबादला शहडाेल और मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डाॅ. केके कांवरे का तबादला छिंदवाड़ा कर दिया गया है.
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डाॅ. गाैर काे अस्पताल में गुटबाजी और डाॅ. कांवरे का काेराेना मरीजाें के इलाज के लिए 50 बिस्तर के मेडिसिन वार्ड काे खाली करने में देरी करने के कारण ट्रांसफर किया गया है. इससे नाराज दोनों डिपार्टमेंट के डाॅक्टर्स ने डीन ऑफिस का घेराव किया. मेडिसिन विभाग के 29 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दिए. मंत्री सारंग ने हमीदिया अस्पताल के निरीक्षण के दाैरान जीएमसी में काेविड मरीजाें के इलाज के लिए जरूरी इंतजाम नहीं करने के लिए डॉ. अरुणा को जिम्मेदार माना. वह मंत्री काे अस्पताल में काेराेना मरीजाें के लिए उपलब्ध बेड और नए शुरू हाेने वाले वार्ड के बारे में नहीं बता सकी थीं.
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मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. केके कावरे का 5 महीने पहले टंग कैंसर का ऑपरेशन हुआ है. अगले साल मार्च में उनका रिटायरमेंट है. जबकि ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी संजीव गौर एमटीए के शहर अध्यक्ष हैं, उनका भी अगले साल फरवरी में रिटारमेंट है. नियमानुसार किसी गवर्नमेंट डॉक्टर के रिटायरमेंट में सालभर बचा हो तो उसका तबादला नहीं किया जा सकता है. इस कारण दोनों विभाग के सीनियर और जूनियर डॉक्टर्स इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने हड़ताल की घोषणा की है.
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