भोपाल: मध्य प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी और सरकार के खाली खजाने का असर अब स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर पड़ा है. राज्य की कमलनाथ सरकार ने मोदी सरकार के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को दी जाने वाली 237 करोड़ रुपए की ग्रांट रोक दी है. राज्य सरकार ने इस बारे में संबंधित विभाग के अफसरों को निर्देश दे दिया है.


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दरअसल, भोपाल स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र सरकार से पांचवी क़िस्त के 93 करोड़ रुपए मिले हैं. अब राज्य सरकार को भी इतनी ही राशि देनी है, लेकिन सूबे की सरकार ने फिलहाल यह राशि देने से इनकार कर दिया है.


राज्य सरकार ने अपने अफसरों से दो टूक कह दिया है कि स्मार्ट सिटी के बारे में अब मार्च के बाद ही सोचेंगे. इस प्रोजेक्ट से संबंधित अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि अभी तो स्मार्ट सिटी में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड के कामों को ही आगे बढ़ाया जाए.


आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में बनी रहीं 7 स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र सरकार 1169 करोड़ रुपए की राशि दे चुकी है जबकि राज्य सरकार ने अब तक 932 करोड़ रुपए ही दिए हैं.


शिवराज सरकार का एक और निर्णय कमलनाथ ने पलटा
कमलनाथ सरकार के संस्कृति विभाग ने भजन मंडलियों को ढोल-मंजीरे खरीदने के लिए बांटी गई 57 करोड़ रुपए की राशि वापस बुला ली है. पूर्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने राज्य की 22,824 ग्राम पंचायतों को बांटी थी. संस्कृति मंत्री ने कहा कि जिस उद्देश्य से यह राशि दी गई थी, वह उस पर खर्च नहीं हुई और काफी बंदरबाट की गई इसलिए राशि वापस मंगा ली गई.


मप्र का 'किसान कर्ज घोटाला' गूंजा
मध्यप्रदेश में 'जय किसान ऋण माफी योजना' का लाभ देने के लिए कर्जदार किसानों की सूची जारी होने और फॉर्म भरवाए जाने के दौरान सामने आ रही गड़बड़ियों से पूर्ववर्ती शासन में बड़े घोटाले होने का खुलासा हो रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह मसला बीते रविवार को बिहार के पटना में आयोजित कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली में उठाया. राज्य में सत्ता बदलाव के बाद कांग्रेस ने चुनाव के दौरान किए गए वादे को पूरा करते हुए 15 जनवरी से कर्जमाफी आवदेन (फॉर्म) भरने का सिलसिला चल रहा है. इस दौरान बड़े मामले ऐसे आए हैं, जिनसे पता चलता है कि जिन किसानों ने कर्ज नहीं लिया, उन्हें कर्जदार बना दिया गया है. वहीं जिन किसानों की वर्षो पहले मौत हो चुकी है, वे भी कर्जदार हैं. कमलनाथ ने पिछले दिनों भोपाल में दावा किया था कि राज्य में किसान कर्ज के नाम पर 3000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, जो कर्जमाफी के आवेदन भरवाए जाने के दौरान सामने आया है.