नई दिल्लीः राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में बड़ा फैसला दिया है. दरअसल आयोग ने कहा कि अगर हैकर्स किसी व्यक्ति के बैंक खाते से धोखाधड़ी कर पैसे निकाल लेते हैं तो नुकसान के लिए ग्राहक नहीं बल्कि बैंक जिम्मेदार होगा. आयोग ने क्रेडिट कार्ड से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक को जिम्मेदार ठहराया है. 


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आयोग ने की अहम टिप्पणी
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उनके खाते से पैसे किसी हैकर ने निकाले हैं. पीड़िता ने बैंक के इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सिस्टम में खामी को हैकिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया था. इस पर आयोग ने अपने फैसले में कहा कि बैंक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया, जिससे पता चले कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड चोरी हुआ था. आज के डिजिटल युग में हैकिंग होने की संभावना है. जिसके बाद आयोग ने बैंक को पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश दिया.


क्या है मामला
दरअसल अमेरिका के लॉस एंजेल्स में रह रही जेसना जोस के लिए महाराष्ट्र के ठाणे में रहने वाले उसके पिता ने एक प्री पेड फोरेक्स प्लस कार्ड साल 2007 में लिया था. इसके बाद साल 2008 के दिसंबर में बैंक ने जेसना के पिता से 310 डॉलर की निकासी की कंफर्मेशन मांगी. इस पर पिता ने ऐसी किसी भी ट्रांजेक्शन से इंकार किया. इसके बाद बैंक ने बताया कि 14 से 20 दिसंबर के बीच उनके खाते से 6 हजार डॉलर की रकम निकाली गई है. इस पर जेसना ने लॉस एंजेल्स में ही इस मामले की शिकायत दर्ज करायी और खाता हैक होने का आरोप लगाया. पीड़िता ने महाराष्ट्र जिला उपभोक्ता फोरम में भी इसकी शिकायत की और मुआवजा मांगा. फोरम ने जेसना के पक्ष में फैसला सुनाया. वहीं फैसले के विरोध में बैंक ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. अब यहां से भी बैंक को निराशा हाथ लगी है.  


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पीड़ित महिला को बैंक देगा मुआवजा
आयोग ने बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए पीड़ित महिला को मुआवजा देने का आदेश दिया है. आदेश के तहत बैंक को पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया है. साथ ही बैंक ने पीड़िता को 40 हजार रुपए बतौर मुआवजा और 5 हजार रुपए केस खर्च के देने के निर्देश दिए हैं.


RBI का ये है नियम
बता दें कि साल 2017-18 की सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यह साफ कर दिया था कि हैकिंग होने पर कौन जिम्मेदार होगा? RBI की रिपोर्ट के अनुसार, जो नुकसान होगा, उसे कौन वहन करेगा, इसका फैसला इस बात से होगा कि गलती किसकी है? आरबीआई के नियमानुसार, यदि बैंक की तरफ से लापरवाही या गलती होती है तो ग्राहक को चिंता करने की जरूरत  नहीं है और पूरा नुकसान बैंक द्वारा वहन किया जाएगा. 


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वहीं यदि धोखाधड़ी ग्राहक की लापरवाही के चलते हुई है तो ग्राहक को ही नुकसान झेलना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में जहां ना ग्राहक की गलती है और ना ही बैंक की तो उस स्थिति में यदि ग्राहक धोखाधड़ी होने के 3 वर्किंग डे में बैंक में शिकायत दर्ज करा देता है तो फिर धोखाधड़ी की जिम्मेदारी ग्राहक की नहीं होगी. वहीं 4-7 दिन में शिकायत दर्ज कराने पर ग्राहक को 5000-25000 रुपए तक मिलेंगे. लेकिन अगर ग्राहक ने 7 वर्किंग डे के बाद धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करायी तो यह निर्भर करेगा कि ऐसे मामलों में बैंक की पॉलिसी क्या है.


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