दुर्गः थ्री इडियट्स फिल्म के रैंचो को तो आप सब जानते ही होंगे. रैंचो यानि बाबा रणछोर दास फिल्म में एक डायलॉग बोलते हैं कि बेटा सक्सेस के पीछे मत भागो काबिल बनो कामयाबी खुद झक मार के आएगी. ये बात हम आपको इसीलिए बता रहे है कि क्योंकि आज हम आपको छत्तीसगढ़ के जूनियर रैंचो मिलवा रहे हैं. जिसे महज 11 साल की उम्र में ही 10वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल रहा है. जिसका असली नाम लिवजोत सिंह अरोरा हैं.


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जी हां सुनने में आपको थोड़ा अचरज महसूस हो सकता है, लेकिन दुर्ग जिले के संतरा बाड़ी में रहने वाले 11 साल के लिवजोत ने यह कारनामा कर दिखाया है. पिछले 3 सालों से लगातार मेहनत कर रहे लिवजोत को 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने की अनुमति उसके आईक्यू टेस्ट के बाद मिल चुकी है.  लिवजोत इस परीक्षा को लेकर इतना आश्वासत है कि वह कह रहा है कि उसका रिजल्ट भी मैरिट में आएगा.


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पांचवीं के छात्र का 10वीं के छात्र जितना आईक्यू लेवल
दरअसल, लिवजोत सिंह के परिजनों ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार था. जब वह महज 6 साल का था तो अपनी बहन को पढ़ते देख वो भी उस विषय के बारे में सीख जाता और माता पिता से जिद करने लगता कि जो दीदी ने पढ़ा है उसकी जानकारी उससे भी पूछी जाए. इतना ही नहीं स्कूल में बताई जाने वाली लंबी-लंबी स्पीच भी उसे आसानी से याद हो जाती थी. गणित और विज्ञान के फार्मूले भी उसकी जुबान और उंगलियों पर नाचते थे.


लिवजोत को कराई आगे की पढ़ाई की तैयारी
लिवजोत की प्रतिभा को देखकर उसके मां-बाप को लगा कि उनका बेटा असामान्य प्रतिभा के साथ पैदा हुआ है, जो पढ़ने-लिखने में काफी तेज है. लिवजोत के माता-पिता ने इंटरनेट और न्यूज के माध्यम से जाना कि कई बच्चे हैं जो समय से पहले आगे की क्लास में पहुंचकर सफलता के झंडे गाड़ चुके हैं. फिर क्या था उसके माता पिता ने भी लिवजोत को यह तैयारी करानी शुरू कर दी. आम बच्चों की तरह घर से स्कूल और बोझ भरे पढ़ाई की बजाए उसे आजादी दी कि वह रोजाना की तरह स्कूल न जाकर एक अनुशासन में अपनी पढ़ाई जारी रखे और आगे के कक्षा में होने वाली पढ़ाई से संबंधित ज्ञान एकत्रित करें.


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स्कूल ने भी उसे पर्याप्त सहयोग दिया जिसके चलते वो क्लास 1 में होकर 3 क्लास के परीक्षा में शामिल हो जाता इसी तरह उसकी तैयारी होती रही और आज लिवजोत को आईक्यू टेस्ट के बाद 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल रहा है.


दूसरे बच्चों को ट्यूशन देता है लिवजोत
खास बात यह है कि लिवजोत खुद दिन में 4 से 6 घंटे ही पढ़ाई करता है, इसके अलावा वह दूसरे बच्चों को ऑनलाईन ट्यूशन देकर महीनेभर में 25 से 30 हजार रुपए की कमाई भी करता है. लिवजोत दुबई और लंदन में रहने वाले छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाता है. लिवजोत केवल पढ़ाई में ही तेज नहीं है, बल्कि स्पोर्ट्स में भी वह बहुत होशियार है. शतरंज तो उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के साथ खेला है.


वैज्ञानिक बनना चाहता है लिवजोत
लिवजोत भविष्य में वैज्ञानिक बनना चाहता है. उसके माता-पिता का कहना है कि फिलहाल उसका पूरा फोकस 10वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर हैं. उन्होंने दूसरे बच्चों के मां-बाप से अपील की है कि उनका बेटा तीव्र बुद्धि वाला है, हो सकता यह प्रतिभा सभी में न हो. इसलिए दूसरे मां-बाप अपने बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न बनाए.


अगर रैंचों 11 साल की उम्र में ही 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास करता है तो ऐसा करने वाला वह छत्तीसगढ़ का पहला छात्र होगा. लेकिन फिलहाल उसकी प्रतिभा से इतना तो कहा ही जा सकता है कि अभी तो इस जूनियर रैंचो के सफर की शुरूआत है. जिसने  अपने को इस काबिल बना दिया है कि सफलता अब झक मार कर उसका इंतजार कर रही है भविष्य में उसे अभी आगे और भी ऊंचाइयां तय करनी है जिससे देश और दुनिया को उस पर गर्व हो.


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